(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
PM Modi के दौरे से पहले फ्रांस की बड़ी कंपनी ने भारत के प्रोजेक्ट '75 इंडिया' से खींचा हाथ
PM Modi : पी-75 आई प्रोजेक्ट के लिए दुनियाभर की पांच बड़ी कंपनियों को आरएफपी यानि रिक्यूएस्ट फॉर प्रपोजल भेजा गया था.
PM Modi Tour on Franc: पीएम मोदी की फ्रांस यात्रा से ठीक पहले पनडुब्बी बनाने वाली फ्रांस की बड़ी कंपनी, नेवल ग्रुप ने भारत के प्रोजेक्ट 75 (आई) से हाथ खींच लिया है। फ्रांसीसी मीडिया ने नेवल ग्रुप के हवाले से ये जानकारी दी है. पिछले साल जुलाई में भारत के रक्षा मंत्रालय ने नौसेना के लिए छह पनडुब्बियां बनाने का ऑर्डर जारी किया था. इसे प्रोजेक्ट 75 (इंडिया) नाम दिया गया था. इस प्रोजेक्ट की कुल कीमत करीब 43 हजार करोड़ है. आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2 मई को तीन दिवसीय दौर पर फ्रांस, जर्मनी और डेनमार्क जा रहे हैं.
पी-75 आई प्रोजेक्ट के लिए दुनियाभर की पांच बड़ी कंपनियों को आरएफपी यानि रिक्यूएस्ट फॉर प्रपोजल भेजा गया था. इन पांच कंपनियों को भारत की दो कंपनियों, एमडीएल या एलएंडटी में से किसी एक को चुनकर भारत में ही इन छह सबमरीन का निर्माण करना था. ये पांच कंपनियां थी, फ्रांस की नेवल ग्रुप-डीसीएनएस, रूस की रोसोबोरोनएक्सपोर्ट, जर्मनी की थायसेनक्रूप, स्पेन की नोवंटिया और दक्षिण कोरिया की डेइवू. अब इस प्रोजेक्ट से यूरोप की दो बड़ी कंपनियां और रूस ने अपना हाथ खींच लिया है. सिर्फ स्पेन की नोवंटिया और दक्षिण कोरिया की डेइवू ही बची है.
नेवल ग्रुप MDL के साथ स्कोर्पिन क्लास की 6 पनडुब्बी बना रहा है
आपको बता दें कि नेवल ग्रुप ही एमडीएल के साथ मिलकर स्कोर्पिन क्लास की छह पनडुब्बी बना रहा है. इनमें से चार, कलवरी क्लास पनडुब्बी नौसेना में शामिल हो चुकी हैं और पांचवी का समुद्री-ट्रॉयल चल रहा है और छठी, वगशीर इसी महीने समंदर में 'लॉन्च' की गई थी. हिंद महासागर में चीन से मिल रही चुनौतियों के बीच पिछले साल यानि अप्रैल 2021 को रक्षा मंत्रालय ने भारतीय नौसेना के लिए छह नई स्टेल्थ-पनडुब्बियों के निर्माण का रास्ता साफ कर दिया था. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाली रक्षा खरीद परिषद ने स्ट्रेटेजिक-पार्टनरशिप मॉडल के तहत ‘प्रोजेक्ट-75 इंडिया’ (पी-75आई) को हरी झंडी दी थी. इसके बाद जुलाई 2021 में अब रक्षा मंत्रालय ने इस प्रोजेक्ट के तहत छह ‘कन्वेंशनल’ स्टेल्थ सबमरीन के लिए आरएफपी जारी की थी.
बार-बार सबमरीन से निकालने की नहीं होगी जरूरत
इस प्रोजेक्ट को स्टेट्रिजक-पार्टनरशिप मॉडल के तहत पूरा किया जाएगा, ऐसे में रक्षा मंत्रालय ने स्वदेशी शिपयार्ड्स, मझगांव डॉकायर्ड (एमडीएल) और एलएंडटी को भी ये आरएफपी जारी थी. ये स्वेदशी शिपयार्ड्स किसी विदेशी कंपनी के साथ ज्वाइंट वेंचर में ही इन छह कन्वेंशनल यानि डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों का देश में ही निर्माण करने का प्रावधान था. ये छह कंवेनशनल पनडुब्बियां जरूर है लेकिन ये एआईपी यानि एयर-इंडिपेंडेंट प्रोपेलशन सबमरीन है. इसका फायदा ये है कि इन्हें डीजल-इलेक्ट्रिक सबमरीन की तरह बार-बार समंदर से बाहर निकलने की जरूरत नहीं होगी. यानि, एक तरह से ये स्टेल्थ-सबमरीन हैं.
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