नई दिल्ली: किसानों को फसल की लागत का कम से कम डेढ़ गुनाम दाम दिलाने के वायदे को पूरा करने की दिशा में कदम उठाते हुए सरकार ने धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) आज 200 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ा दिया. सरकार ने यह निर्णय ऐसे समय लिया है जबकि कृषि उपजों के दाम गिरने से किसान परेशान हैं और आम चुनाव एक साल के अंदर होने वाले हैं.
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने 2014 में किसानों से साथ चुनावी वादा किया था कि वो किसानों को उनकी लागत का डेढ़ गुना मूल्य दिलाएगी. सरकार ने इस साल पहली फरवरी को पेश किए गए अपने आखरी पूर्ण बजट में इस वायदे को पूरा करने की घोषणा की. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों से संबंधित समिति ने आज 14 खरीफ फसलों के एमएसपी के प्रस्तावों को स्वीकृत किया.
धान (सामान्य किस्म) का न्यूनतम समर्थन मूल्य 200 रुपये बढ़ाकर 1,750 रुपये प्रति क्विंटल और धान (ग्रेड ए) का न्यूनतम समर्थन मूल्य 160 रुपये बढ़ाकर 1,750 रुपये प्रति क्विंटल कर किया गया है. इसी तरह कपास (मध्यम आकार का रेशा) का एमएसपी 4,020 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 5,150 रुपये प्रति क्विंटल और कपास (लंबा रेशा) का एमएसपी 4,320 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 5,450 रुपये प्रति क्विंटल पर कर दिया गया.
अरहर का एमएसपी 5,450 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 5,675 रुपये प्रति क्विंटल, मूंग का एमएसपी 5,575 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 6,975 रुपये प्रति क्विंटल और उड़द का एमएसपी 5,400 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 5,600 रुपये प्रति क्विंटल किया गया है.
मार्केटिंग ईयर 2016-17 की खरीद के आंकड़ों के हिसाब से धान का एमएसपी बढ़ाने से खाद्य छूट पर 11 हजार करोड़ रुपये का बोझ आएगा. धान खरीफ सीजन की मुख्य फसल है. सरकार की ओर से भारतीय खाद्य निगम अनाज की खरीद और वितरण करता है. यह खरीद सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य के आधार पर की जाती है.
साल 2017-18 में भारत में अनाज उत्पादन 279.51 करोड़ टन होने का अनुमान है. यह एक नया कीर्तिमान होगा. अनाज उत्पादन बढ़ने से चीनी, दाल दलहनों आदि की कीमतों में नरमी है लेकिन कुछ विश्लेषकों का कहना है कि एमएसपी बढ़ाए जाने से खाद्य मुद्रास्फीति सुलग सकती है. राहत की बात ये है कि इस साल भी मानसून अच्छा रहने की उम्मीद है.