पहली बार नहीं है, याकूब मेमन की फांसी पर भी रात तीन बजे खुले थे सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे
निर्भया की मां आशा देवी ने कहा कि हमारी बेटी आज दुनिया में नहीं है, वो अब आ भी नहीं सकती लेकिन आज के बाद देश की बेटियां सुरक्षित महसूस करेंगी.
नई दिल्ली: निर्भया के दोषियों को आज फांसी दे दी गई. सुबह 5 बजकर 30 मिनट पर निर्भया के दोषियों को फांसी पर लटकाया गया. फांसी से पहले दोषियों के वकील एपी सिंह आधी रात ढाई बजे दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे और फांसी को टालने की अपील की. इस सुनावाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फांसी टालने की याचिका को खारिज कर दिया. इससे पहले 2015 में याकूब मेमम की फांसी पर आधी रात को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की गई थी.
बता दें कि 1993 के मुंबई सीरियल धमाके के दोषी याकूब मेमन की याचिका को राष्ट्रपति ने खारिज कर दिया था. इसके बाद 30 जुलाई 2015 की आधी रात को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई थी. वकील प्रशांत भूषण सहित कई वकीलों ने याकूब मेमन की फांसी को टालने की अपील की थी.
उस दौरान जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई में तीन जजों की बेंच से सामने इस मामले की सुनवाई हुई थी. 30 जुलाई 2015 की रात को 3 बजकर 20 मिनट पर याकूब मेमन की फांसी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. जो सुबह 4 बजकर 57 मिनट तक चली. इस सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने याकूब मेमन की फांसी टालने की याचिका खारिज कर दिया था. जिसके बाद याकूब मेमन को फांसी पर लटकाया गया.
इससे पहले 2018 में कर्नाटक में जब राज्यपाल की तरफ से आधी रात को बीजेपी को सरकार बनाने का मौका मिला था उस समय कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. ये मामला 17 मई 2018 का है. उस समय रात 2 बजे सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई. ये सुनवाई करीब करीब पांच बजे तक चली. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने बीएस येदियुरप्पा की शपथ रोकने से मना कर दिया था.
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