पटना: लालू के बड़े बेटे तेजप्रताप पर मंदिर की आड़ में ज़मीन पर कब्ज़ा करने के सनसनीखेज़ आरोप लग रहे हैं. वहीं मंत्री पद गंवाने के बाद तेज प्रताप ने सरकारी बंगला छोड़ने से पहले कहा था कि ये एक भूत बंगला है. राज्य की सरकार का हिस्सा जेडीयू (जनता दल यूनाइटेड) ने आरोप लगाया है कि लालू के बेटे भी काले कारनामे के लिए मशहूर हैं और मामले को सरकार गंभीरता से देखेगी.


लालू यादव के बड़े बेटे और बिहार के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तेजप्रताप पर आरोप है कि उन्होंने मंत्री के तौर पर उन्हें मिला सरकारी बंगला खाली करने से पहले बंगले के ठीक पीछे के हिस्से की सरकारी ज़मीन पर एक मंदिर बनवा दिया है. मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा महाशिवरात्रि के दिन हुई थी.


नीतीश-सुशील पर लगाया भूत छोड़ने का आरोप


बंगला खाली करने के पीछे तेजप्रताप ने यही वजह बताते हुए कहा कि भूतों के डर से उन्होंने सरकारी बंगला छोड़ दिया है. वहीं इस पूर्व मंत्री ने मुख्यमंत्री नीतिश कुमार और सुशील मोदी पर बंगले में भूत छोड़ने का आरोप लगाया गया है. ऐसा कहने वाले वो अकेले नहीं हैं बल्कि उनके विधायक भी यही कह रहे हैं.


तेजप्रताप मंत्री बनने के बाद अपने सरकारी बंगले 3, देशरत्न मार्ग में रहते थे. महागठबंधन की सरकार से जब नीतिश अलग हो गए तब तेजप्रताप-तेजस्वी समेत लालू की पार्टी आरजेडी (राष्ट्रीय जनता दल) के सभी मंत्रियों को बंगला छोड़ने को कहा गया लेकिन दोनों भाई अड़ गए कि बंगला नहीं खाली करेंगे. बार-बार भवन निर्माण विभाग की तरफ से नोटिस भेजा गया लेकिन दोनों भाई बंगला छोड़ने को तैयार नहीं हुए.


तेजस्वी नहीं खाली कर रहे बंगाल, तेज अलाप रहे हैं भूत राग


तेजस्वी ने तो अभी तक अपना बंगला नहीं खाली किया है. तेजस्वी का बंगला डिप्टी सीएम सुशील मोदी को अलॉट हुआ है, लेकिन बंगला खाली नहीं किए जाने की वजह से मोदी अभी तक बंगले में शिफ्ट नहीं हो सके हैं. हालांकि तेजप्रताप ने कुछ दिन पहले ही बंगला खाली करने का फैसला तो लिया, लेकिन इसे छोड़ने के लिए भूत का बहाना बनाया.


सूत्रों के मुताबिक, किसी पंडित ने कह दिया था कि मंदिर बन जाने पर ये बंगला कभी खाली नहीं होगा और तेज इसमें हमेशा बने रहेंगे. लेकिन सरकार गई तो बंगला छोड़ना पड़ा. तेजप्रताप जब इस बंगले में बतौर स्वास्थ्य मंत्री रहते थे. तब इसके मुख्य दरवाज़े को एक ज्योतिष की सलाह पर पीछे की तरफ कर दिया था.


पीछे जो लोग झुग्गी झोपड़ियों में रहते थे, उन्हें इसकी वजह से वहां से हटा दिया गया. तेज के गाड़ियों के काफिले को लेकर लोग परेशान भी होते थे. इसे लेकर लोगों ने विरोध भी दर्ज कराया था. बाद में मामले ने तूल पकड़ा तो पीछे के इस गेट को बंद कर दिया गया. मंत्री रहने के दौरान ही बंगले के पीछे के इस गेट के पास ही सरकारी जमीन पर तेजप्रताप यादव ने एक मंदिर बनवा दिया.


तेज की देखरेख में बना मंदिर, नहीं हुई कोई कार्रवाई


पिछले कई महिनों से तेजप्रताप की देखरेख में मंदिर बनता रहा, लेकिन किसी अधिकारी ने रोकने की कोशिश नहीं की, जबकि मुख्यमंत्री आवास और राजभवन यहां से काफी करीब है. मंदिर बनने के दौरान इसमें तेजप्रताप यादव के संगठन डीएसएस (धर्मनिरपेक्ष स्वंय सेवक) का कार्यालय भी चलता रहा. तेजप्रताप यहां अक्सर आते रहते हैं.


मंदिर में तेजप्रताप ने अपने समर्थकों को रखा है जो मंदिर की देखभाल करते हैं. इनका कहना है कि मंदिर हर जगह सरकारी जमीन पर ही बनता है, इसलिए तेजप्रताप यादव ने भी अगर ऐसा किया है तो कुछ भी गलत नहीं है.


मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में भी तेजप्रताप यहां आए थे, लेकिन मंदिर में रहने वाले पुजारी ने जब इस बात को छिपाने की कोशिश की तो मंदिर परिसर में ही रहने वाली एक महिला ने कहा कि तेजप्रताप तब यहां आये थे. मंदिर में लगे शिलापट्ट में तेजप्रताप, लालू और राबड़ी देवी का नाम भी लिखा है.


नीतिश की पार्टी से सिलसिलेवार आरोप


जेडीयू प्रवक्ता नीरज सिंह ने पूर्व स्वास्थय मंत्री तेजप्रताप पर सरकारी ज़मीन पर मंदिर बनवाने को लेकर हमला करते हुए कहा कि लालू के राजनैतिक ज़मीन की वजह से पद पाने वाले तेजप्रताप ने बड़ी मशक्कत के बाद सरकारी बंगला छोड़ा, लेकिन जाते-जाते उन्होंने एक नया विवाद पैदा कर दिया. ज़मीन पर समाज के अति पिछड़े और दलितों जिन झोपड़ियों में बसे है उनकों हटाकर वहां धार्मिक पाखंड किया गया.


नीरज ने देश के सबसे बड़े कोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में एक आदेश पास किया था जिसमें कहा था कि सरकारी ज़मीन पर मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा बनवाना कानूनन अपराध है.