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(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)

केवल महाराष्ट्र-कर्नाटक नहीं, इन राज्यों के बीच भी है अंतर्राज्यीय सीमा विवाद, जानिए कैसे होगा खत्म

Border Disputes: राष्ट्रीय स्तर से लेकर प्रादेशिक स्तर पर कर्नाटक और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्रियों समेत कई नेताओं की दर्जनों बैठकें होने के बावजूद बेलगावी को लेकर सीमा विवाद का हल नहीं निकला है.

Border Dispute within India: बेलगावी को लेकर महाराष्ट्र और कर्नाटक में जारी सीमा विवाद आसानी से सुलझता नहीं दिख रहा है. कुछ दिनों पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ हुई बैठक में महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे और कर्नाटक के सीएम बसवराज बोम्मई ने बातचीत के सहारे सीमा विवाद का हल निकालने की बात कही थी. इसके बावजूद महाराष्ट्र और कर्नाटक के नेताओं के बीच सीमा विवाद पर जुबानी जंग कमजोर नहीं पड़ रही है.

राष्ट्रीय स्तर से लेकर प्रादेशिक स्तर पर कर्नाटक और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्रियों समेत कई नेताओं की दर्जनों बैठकें होने के बावजूद बेलगावी को लेकर सीमा विवाद का हल नहीं निकला है. वैसे, भारत में सीमा विवाद सिर्फ महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच ही नहीं है. आइए जानते हैं कि महाराष्ट्र और कर्नाटक के अलावा किन राज्यों में सीमा विवाद चल रहा है और इसे कैसे खत्म किया जा सकता है?

इन राज्यों में भी है सीमा विवाद?

असम-नगालैंड सीमा विवाद: सीमा विवादों में सबसे पुराना असम और नगालैंड के बीच का सीमा विवाद है. 1963 में नगालैंड राज्य बनने के बाद से ही ये सीमा विवाद शुरू हुआ था, जो आज तक जारी है. असम और नगालैंड की सीमाओं पर हिंसा की घटनाएं सामने आती रहती हैं. नगालैंड ने 1925 की अधिसूचना के अनुसार राज्य की सीमाओं को परिभाषित कर नागा हिल्स और त्युएनसांग क्षेत्र (NHTA) को एक नई प्रशासनिक इकाई के तौर पर एकीकृत किया था. इतना ही नहीं, नगालैंड भारत सरकार की ओर से किए गए सीमा रेखांकन को भी नहीं मानता है. 

नगालैंड का कहना है कि असम से लगती सीमा में उत्तरी कछार और नागांव जिलों में भी नागा बहुल क्षेत्र होने चाहिए और इन्हें राज्य में शामिल किया जाना चाहिए. वहीं, असम का कहना है कि नगालैंड की ओर से राज्य की सीमाओं पर अवैध अतिक्रमण कर रखा है, जिन्हें रोकने के लिए उसे कदम उठाने पड़ते हैं. बता दें कि इन्हीं वजहों के चलते दोनों राज्यों के बीच हिंसा की खबरें आम हैं. बता दें कि असम सरकार ने नगालैंड के साथ सीमा विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मामला दर्ज कराया है. असम चाहता है कि अतिक्रमित इलाकों को वापस उसके राज्य में शामिल किया जाए, ये मामला अभी तक लंबित है.

असम-अरुणाचल प्रदेश सीमा विवाद: असम और अरुणाचल प्रदेश एक-दूसरे के साथ 804 किमी की सीमा साझा करते हैं. अरुणाचल प्रदेश का कहना है कि उत्तरी-पूर्वी राज्यों को पुनर्गठन के दौरान उसके हिस्से के कई वन क्षेत्रों को असम में शामिल कर दिया गया है. ये वन क्षेत्र मैदानी इलाकों के हैं और इन पर पहाड़ी आदिवासी प्रमुखों और समुदायों का हक है.

1987 में अरुणाचल प्रदेश को राज्य का दर्जा मिला था. जिसके बाद बनी एक त्रिपक्षीय समिति ने सिफारिश की थी कि असम में शामिल किए गए कुछ वन क्षेत्रों को अरुणाचल प्रदेश में स्थानांतरित कर दिया जाए. इसके विरोध में असम ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और तब से मामला विचाराधीन है.

असम-मेघालय सीमा विवाद: असम के साथ सीमा साझा करने वाले उत्तर-पूर्व के राज्य मेघालय के भी सीमा विवाद हैं. मेघालय ने 1971 के असम पुनर्गठन अधिनियम को चुनौती देते हुए मिकिर हिल्स के ब्लॉक I और II (कार्बी आंगलोंग जिले) को वापस किए जाने की मांग की थी. मेघालय का कहना है कि 1835 में अधिसूचित ये दोनों ब्लॉक उसके राज्य का हिस्सा थे. असम और मेघालय के बीच 12 जगहों पर सीमा विवाद है, जिनमें से कुछ को सुलझा भी लिया गया है.

असम-मिजोरम सीमा विवाद: भारत पर ब्रिटेन के कब्जे के दौरान मिजोरम को लुशाई हिल्स के तौर पर जाना जाता था और ये असम का ही हिस्सा था. 1972 में केंद्र शासित प्रदेश और 1987 में पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने के बाद यहां सीमा विवाद खड़ा होना शुरू हो गया. दरअसल, असम और मिजोरम के बीच सीमा विवाद ब्रिटिश राज के दौरान की दो अधिसूचनाओं से जुड़ा हुआ है. मिजोरम 1875 की अधिसूचना को मानता है. जिसमें लुशाई हिल्स को कछार के मैदानों से अलग माना गया था.

वहीं, असम 1933 में ब्रिटिश राज की ओर से जारी अधिसूचना का हवाला देता है. इस अधिसूचना के अनुसार, लुशाई हिल्स और मणिपुर के बीच सीमा रेखांकन किया गया था. हालांकि, मिजोरम के लोग इसे स्वीकार नहीं करते हैं. मिजो लोगों का मानना है कि 1875 की अधिसूचना ही सही है. ये मामला भी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. 

हरियाणा-हिमाचल प्रदेश सीमा विवाद: हरियाणा और हिमाचल प्रदेश के बीच परवाणू इलाके को लेकर अंतर्राज्यीय सीमा विवाद है. परवाणू इलाका हरियाणा के पंचकुला जिले से लगता हुआ है, जिसके चलते हिमाचल प्रदेश ने इसके कुछ हिस्से पर अपना दावा ठोक दिया है. सर्वे ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि परवाणू में हरियाणा के हिस्से की कुछ जमीन पर हिमाचल प्रदेश ने अपना नियंत्रण कर लिया है.

लद्दाख-हिमाचल प्रदेश सीमा विवाद: नए बने केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख और हिमाचल प्रदेश के बीच लेह-मनाली मार्ग पर स्थित सरचू इलाके को लेकर सीमा विवाद है. लद्दाख और हिमाचल प्रदेश सरचू के इलाके पर अपना-अपना दावा करते हैं. दरअसल, लेह और मनाली के बीच यात्रा के दौरान पर्यटक सरचू में ही रुकते हैं. सरचू का इलाका लद्दाख के लेह जिले और हिमाचल के लाहुल-स्पीति जिले के बीच स्थित है. ये विवाद 2014 में शुरू हुआ था.

महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद: बेलगावी (बेलगाम) जिला महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच लंबे समय से सीमा विवाद का कारण बना हुआ है. बेलगावी जिले में मिश्रित रूप से मराठी और कन्नड़ भाषी आबादी रहती है. 1956 में बेलगावी को कर्नाटक में शामिल किया गया था. महाराष्ट्र कर्नाटक के कई मराठी भाषी इलाकों पर अपना दावा करता है. ये मामला भी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. 

कैसे खत्म हो सकता है सीमा विवाद?

राज्यों के बीच सीमा विवाद को खत्म करने के लिए सबसे बड़ा रास्ता सुप्रीम कोर्ट ही है. वहीं, केंद्र सरकार भी लोगों की मांग पर कई राज्यों का विभाजन कर चुकी है. उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड, बिहार-झारखंड, मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश-तेलंगाना के बंटवारे भारत सरकार ने ही किए हैं. हालांकि, इन राज्यों के सीमा विवाद का हल आपसी सहमति या सुप्रीम कोर्ट के जरिये ही निकल सकता है.

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