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ओवैसी ने बंगाल में बीजेपी की उम्मीदों को दिए नए पंख, मुस्लिम वोटरों में सेंध से ममता को होगा नुकसान?

बंगाल की राजनीति में बीजेपी पहली बार बेहद दमदार तरीके से धमक चुकी है. गृह मंत्री अमित शाह से लेकर पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा जैसे बड़े बडे नेता लगातार बंगाल दौरा कर रहे हैं. इन सभी नेताओं के निशाने पर ममता हैं और निशाने का हथियार सांप्रदायिक राजनीति है.

नई दिल्ली: जैसे जैसे पश्चिम बंगाल में चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है वैसे वैसे चुनाव दिलचस्प रुख लेता जा रहा है. बीजेपी और ममता के बीच सीधी जंग की तैयार होती जमीन पर हैदराबाद वाले असदु्ददीन ओवैसी पहुंच चुके हैं. ओवैसी का सियासी सितारा इन दिनों बुलंदी पर है और उसी बुलंदी के भरोसे वो ममता के गढ़ में अपनी ताकत आजमाने का एलान कर चुके हैं.

इस वक्त पश्चिम बंगाल का एक चुनावी पांसा मुस्लिम राजनीति के चौसर पर फेंका जा रहा है. पहले तो इस लड़ाई में ममता बनर्जी की टीएमसी और बीजेपी ही थीं लेकिन अब नई एंट्री ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल-मुस्लिमीन यानी एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने ली है. रविवार को ओवैसी बंगाल गए और वहां से लौट भी गए लेकिन बंगाल के कई राजनीतिक धुरंधरों की नींद भी हराम कर गए. सत्तारूढ तृणमूल कांग्रेस कह रही है कि आते जाते रहते हैं ऐसे लोग लेकिन बीजेपी को लगता है कि ओवैसी जितना जोर लगाएंगे, बीजेपी उतना ही फायदे में रहेगी.

बीजेपी सांसद लॉकेट चटर्जी ने कहा, ''ओवैसी अब ममता को मात दे देंगे इसलिए ममता ममता की धड़कनें बढ़ गई हैं, कुरैशी, सिद्दीकी औऱ खान से नहीं बनेगी सरकार. इस बार बीजेपी 200 सीटें जीतेगी''

बीजेपी काफी दिनों से ये नारा दे रही है कि अबकी पार दो सौ पार. पश्चिम बंगाल में विधानसभा की 292 सीटें हैं जिसमें 200 सीट जीतने का मतलब हुआ कि दो तिहाई सीटों के साथ प्रचंड जीत. इस मनसूबे को कामयाब करने के लिए बीजेपी ने बंगाल की पहचान से जुड़ी महान शख्सियतों से वास्ता जोड़ा लेकिन एक खटका बना रहा कि 28 फीसदी मुस्लिम वोट अगर ममता के पक्ष में रहे तो उसका क्या होगा. लेकिन ओवैसी ने बीजेपी की उम्मीदों को उड़ान भरने के लिए नए पंख दे दिए हैं.

बंगाल की राजनीति में बीजेपी पहली बार बेहद दमदार तरीके से धमक चुकी है. गृह मंत्री अमित शाह से लेकर पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा जैसे बड़े बडे नेता लगातार बंगाल दौरा कर रहे हैं. इन सभी नेताओं के निशाने पर ममता हैं और निशाने का हथियार सांप्रदायिक राजनीति है.

केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि अरब में शेख तो होते है , बंगाल में अभिषेक ही अब शेख हो गए है. अनुराग ठाकुर जिस अभिषेक की बात कर रहे हैं, वो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी हैं. अभिषेक के बहाने बीजेपी का निशाना ममता बनर्जी के भाई भतीजावाद पर है तो दूसरी तरफ बीजेपी इसको मुस्लिम तुष्टीकरण से भी जोड़ रही है. इसकी वजह पश्चिम बंगाल में मुस्लिम वोटों का प्रभाव और उसपर ममता का दबदबा भी है.

पश्चिम बंगाल में मुसलमानों की आबादी करीब 28 फीसदी है. वहां विधानसभा की 135 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोट 20 फीसदी से ज्यादा है. पिछली बार इन 135 में 90 सीटों पर टीएमसी जीती थी. अब अगर मुस्लिम वोट ममता, ओवैसी और कांग्रेस-लेफ्ट गठबंधन में बंट जाता है तो बीजेपी को लगता है कि उसका हिंदुत्व, राष्ट्रवाद और बांग्ला अस्मिता का नारा बंगाल विजय तक उसे पहुंचा देंगे.

पहले महाराष्ट्र और फिर बिहार में चुनावी कामयाबी मिलने के बाद ओवैसी का पश्चिम बंगाल में जाना ममता के लिए खतरे की घंटी सुना रहा है तो इसमें कांग्रेस और लेफ्ट को भी अपनी बर्बादी के आसार दिख रहे होंगे. पिछले लोकसभा चुनाव में बंगाल में इन दोनों दलों का काफी बुरा हाल रहा. ओवैसी की एंट्री के खतरे को कांग्रेस अच्छे से महसूस कर रही है.

रविवार को हुगली जिले की फुरफुरा शरीफ मस्जिद के बड़े धार्मिक नेता अब्बास सिद्दीकी से ओवैसी की मुलाकात से बंगाल में सियासी खलबली बढ़ी है. सबसे बड़ी बात ये है कि ओवैसी के निशाने पर भी ममता ही हैं. दरअसल फुरफुरा शरीफ मस्जिद का प्रभाव बंगाल के मुसलमानों पर काफी ज्यादा है और अगर वो प्रभाव वोटों में बदला तो ममता के किले की बुनियाद में बढ़ी सेंध लग सकती है. बीजेपी के सामने जीत का लक्ष्य है और ममता के सामने अपने जीते हुए गढ़ को बचाने का. इसमें सबसे अहम मुस्लिम फैक्टर बन गया है.

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