Bengal-Centre Government On MNREGA Fund: बंगाल की ममता सरकार और केंद्र की मोदी सरकार के बीच कई मुद्दों को लेकर खींचतान बरकरार है. हाल ही में जब प्रधानमंत्री आवास योजना में अनियमितताओं की खबरें आईं तो जांच करने के लिए एक केंद्रीय टीम बंगाल पहुंची. इस पर बीजेपी और तृणमूल कांग्रेस के नेताओं के बीच बयानबाजी अभी जारी ही है. वहीं अब पंचायत चुनाव से पहले केंद्र सरकार की स्कीम पर सियासत तेज हो गई है.
दरअसल, बीते साल 26 दिसंबर को केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल को मनरेगा के बकाया भुगतान के लिए मंजूरी दे दी थी. इस मुद्दे को टीएमसी सरकार ने कई बार उठाया था. हाल ही में नरेगा संघर्ष मोर्चा, जो योजना से जुड़े मुद्दों को उठाता है, ने केंद्र पर पश्चिम बंगाल में मनरेगा फंड के 7,500 करोड़ रुपये से अधिक रोके जाने का आरोप लगाया. इसमें कहा गया है कि ग्रामीण रोजगार योजना के तहत काम करने वालों के वेतन का भुगतान न करना उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है.
केंद्र ने क्यों रोका फंड?
केंद्र ने धन को रोकने के लिए "केंद्र सरकार के निर्देशों का पालन न करने" का हवाला दिया है. केंद्र पर निशाना साधते हुए मजदूर किसान शक्ति संगठन के संस्थापक सदस्य निखिल डे ने भी इस मामले को उठाया और ट्वीट किया, "केंद्र कहता है कि राज्य भ्रष्ट है, इसलिए फंड काट दो! कौन पीड़ित है?"
ममता ने कई बार लिखा PM को पत्र
मनरेगा के फंड को रोकने के मुद्दे पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कई पत्र लिखे. उन्होंने अपने पत्रों में मनरेगा के भुगतान से लेकर GST के बकाए का मुद्दा भी उठाया. पिछले साल मई में भेजे गए एक पत्र में ममता ने मनरेगा और पीएम आवास योजना, दोनों फंड जारी करने के लिए पीएम के हस्तक्षेप की मांग की.
उन्होंने कहा, "पश्चिम बंगाल में मजदूरी भुगतान चार महीने से अधिक समय से लंबित है क्योंकि भारत सरकार फंड जारी नहीं कर रही है." नवंबर में उन्होंने कहा, "मैं व्यक्तिगत रूप से प्रधानमंत्री से मिली और इस मामले पर उनसे बात की. क्या अब मुझे उनके पैर छूने पड़ेंगे?"
'हम फंड मांग रहे हैं'
उसी महीने, पश्चिम बंगाल के पंचायत मंत्री प्रदीप मजूमदार ने दिल्ली में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह से मुलाकात की और बैठक के बाद मनरेगा फंड के जल्द ही मंजूरी मिलने की उम्मीद जताई. मजूमदार ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा, "हम फंड मांग रहे हैं लेकिन केंद्र इस मामले को देखने के लिए उत्सुक नहीं है."
बीजेपी ने क्या कहा?
बीजेपी ने कहा कि टीएमसी सरकार खुद "बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार" और "धन के कुप्रबंधन" के कारण देरी के लिए जिम्मेदार थी. बीजेपी ने कहा, "केंद्र धन जारी करने के लिए तैयार है, लेकिन पहले राज्य सरकार को जारी की गई धनराशि का हिसाब देना होगा. अगर राज्य इसमें विफल रहता है तो केंद्र अधिक धनराशि क्यों भेजेगा?" पार्टी ने कहा कि लोग 'सच्चाई' जानते हैं.
'TMC नेता धन का दुरुपयोग करते हैं'
बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा, "वे जानते हैं कि टीएमसी नेता और कार्यकर्ता केंद्र के धन का दुरुपयोग करते हैं. उन्होंने केंद्र की योजनाओं के नाम भी बदल दिए और उन्हें अपने नाम से पारित कर दिया… लेकिन केंद्र राज्य के विकास को रोकना नहीं चाहता है और हमें विश्वास है कि नियत समय में सब कुछ साफ हो जाएगा."
अधिकारी ने क्या कहा?
हालांकि, मामला जल्द सुलझने के आसार नहीं हैं. यह पूछे जाने पर कि केंद्र ने बंगाल को धन जारी करना क्यों बंद कर दिया? ग्रामीण विकास मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि यह राज्य में योजना के कार्यान्वयन में "अनियमितताओं" की रिपोर्ट के बाद हुआ था. अधिकारी ने कहा, "इसके अलावा, राज्य सरकार कार्रवाई की गई रिपोर्ट नहीं भेज रही थी. केंद्र से कई बार पत्र-व्यवहार करने के बावजूद राज्य ने लीकेज को बंद नहीं किया." यह पूछे जाने पर कि पश्चिम बंगाल का बकाया कब तक चुकाया जाएगा? अधिकारी ने कहा कि यह राज्य सरकार के नियमों के अनुपालन पर निर्भर करता है.
कांग्रेस का BJP और TMC पर आरोप
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर चौधरी ने टीएमसी सरकार और केंद्र दोनों पर लोगों की जान से खिलवाड़ करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, "केंद्र को लंबित धन को स्पष्ट करना चाहिए. राज्य को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि इस तरह के फंड का सही इस्तेमाल हो. हालांकि, दोनों पंचायत चुनाव से पहले अपने फायदे के लिए राजनीति कर रहे हैं. हम हमेशा कहते हैं कि दोनों पक्षों के बीच मौन सहमति है."
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