(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Bengal Panchayat Election: कांग्रेस ने केंद्रीय बलों की 822 कंपनियों को नाकाफी बताया, तैनाती बढ़ाने की मांग
Bengal Panchayat Polls: कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने पंचायत चुनाव एक चरण में कराए जाने के बजाय कम से कम छह चरणों में कराने की भी मांग की है.
Bengal Panchayat Election 2023: पश्चिम बंगाल में होने वाले पंचायत चुनाव के मद्देनजर हुई झड़पों के बाद केंद्रीय बलों की तैनाती की गई है. इस बीच राज्य में स्वतंत्र और निष्पक्ष पंचायत चुनाव के लिए केंद्रीय बलों की 822 कंपनियों को नाकाफी करार देते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने रविवार (25 जून) को और ज्यादा केंद्रीय बलों के तैनाती की मांग की.
सांसद अधीर रंजन चौधरी ने पंचायत चुनाव एक चरण में कराए जाने के बजाय कम से कम छह चरणों में कराने की भी मांग की. चौधरी ने कहा, "मतदान केंद्रों की संख्या के अनुपात में मुझे लगता है कि केंद्रीय बलों की यह संख्या (822 कंपनी) अपर्याप्त है. मैं मांग करता हूं कि पंचायत चुनाव के लिए पश्चिम बंगाल में और ज्यादा केंद्रीय बल भेजे जाएं."
राज्य में हुई थी व्यापक हिंसा
राज्य निर्वाचन आयोग (SEC) ने शुक्रवार को कलकत्ता हाई कोर्ट को सूचित किया था कि उसने पश्चिम बंगाल में आठ जुलाई को होने वाले पंचायत चुनाव के लिए केंद्रीय बलों की 822 कंपनियों की मांग की है. बता दें कि बंगाल में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने के दौरान व्यापक हिंसा में पिछले दो हफ्तों में राज्य के विभिन्न हिस्सों में कम से कम आठ लोगों की मौत हो गई और कई घायल हो गए.
केंद्रीय बलों का रणनीतिक तरीके से हो इस्तेमाल- कांग्रेस नेता
कोलकाता प्रेस क्लब में एक कार्यक्रम के दौरान अधीर रंजन चौधरी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि राज्य निर्वाचन आयुक्त राजीव सिन्हा को स्वतंत्र और निष्पक्ष मतदान सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय बलों का रणनीतिक तरीके से इस्तेमाल करना चाहिए.
उन्होंने कहा, "विधानसभा या लोकसभा चुनाव की तरह ही केंद्रीय बलों की तैनाती की जानी चाहिए. तभी पंचायत चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष होंगे... मेरा मानना है कि मतदान छह या अधिक चरणों में कराया जाना चाहिए."
चौधरी ने दावा किया कि अगर लोगों को पंचायत चुनाव में स्वतंत्र रूप से वोट डालने की अनुमति दी जाती है तो सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस कहीं नजर नहीं आएगी और यही कारण है कि सरकार ने केंद्रीय बलों की तैनाती के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख किया.