Teacher Recruitment Scam: क्या है शिक्षक भर्ती घोटाला? जिसने पश्चिम बंगाल की राजनीति में ला दिया भूचाल
Teacher Recruitment Scam: राज्य के माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के तहत शिक्षण और गैर-शिक्षण पदों पर नियुक्तियों के लिए स्कूल सेवा आयोग ने 2016 में परीक्षा आयोजित की थी जिसमें 20 उम्मीदवारों का चयन होना था.
Teacher Recruitment Scam: शिक्षक भर्ती घोटाले ने पश्चिम बंगाल (West Bengal) की राजनीति में भूचाल ला दिया है. ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) सरकार में मंत्री पार्थ चटर्जी (Partha Chatterjee) को शनिवार सुबह प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गिरफ्तार कर लिया है. चटर्जी को करीब 26 घंटे की पूछताछ के बाद अरेस्ट किया गया. ईडी ने उनकी एक करीबी अर्पिता मुखर्जी (Arpita Mukherjee) को भी हिरासत में लिया है जिनके घर से भारी रकम बरामद हुई है. जानते हैं क्या है यह घोटाला.
CBI और ED कर रही हैं जांच
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) हाईकोर्ट के निर्देश पर पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग की सिफारिशों पर सरकार द्वारा प्रायोजित व सहायता प्राप्त स्कूलों में समूह ‘सी’ और ‘डी’ के कर्मचारियों व शिक्षकों की भर्ती में हुई कथित अनियमितताओं की जांच कर रहा है. वहीं, ईडी इस मामले से संबंधित कथित धनशोधन की तफ्तीश में जुटा है.
क्या है मामला?
- राज्य के माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के तहत शिक्षण और गैर-शिक्षण पदों पर नियुक्तियों के लिए स्कूल सेवा आयोग ने 2016 में परीक्षा आयोजित की थी.
- इस परीक्षा के तहत 20 उम्मीदवारों का चयन होना था.
- परीक्षा के परिणाम नवंबर 2017 में आए - सिलीगुड़ी की बबीता सरकार का नाम टाप 20 उम्मीदवारों में शामिल था. बबीता 20वें नंबर पर थी
- लेकिन आयोग ने यह सूची रद्द कर दी. बाद में दोबारा लिस्ट निकली उसमें बबीता का नाम वेटिंग लिस्ट में चला गया.
- नई लिस्ट में बबीता 21वे नंबर पर आ गई और पहले नंबर पर परेश अधिकारी जो उस वक्त विधायक थे (फिलहाल शिक्षा विभाग के राज्य मंत्री हैं), की बेटी अंकिता अधिकारी का नाम आ गया.
- इस नई लिस्ट आने के बाद बबीता सरकार ने कलकत्ता हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.
- हाई कोर्ट ने आयोग से दोनों की नंबर शीट मांगी जिससे खुलासा हुआ कि 16 नंबर कम पाने के बावजूद मंत्री जी की बेटी का नाम टॉप पर आ गया और 21 नंबर पर बबिता सरकार आ गई.
- कलकत्ता हाई कोर्ट ने आदेश दिया कि अंकिता अधिकारी को नौकरी से हटाया जाए और उनको जितना वेतन मिली है वो वसूला जाए. वेतन वसूल कर पैसा बबिता सरकार को दिया जाए और उसे नौकरी पर रखा गाए
- आदालत ने एक जांच आयोग बैठा दिया. अदालत ने पहले इस कथित घोटाले की जांच के लिए न्यायमूर्ति (रिटायर्ड) रंजीत कुमार बाग की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था.
- समिति ने अपनी रिपोर्ट में घोटाले में शामिल तत्कालीन अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की सिफारिश की थी.
मामला हाईकोर्ट को सौंपा गया
- बाग समिति ने ग्रुप-डी और ग्रुप-सी पदों पर नियुक्तियों में अनियमितता पाई थी. समिति ने कहा था कि ग्रुप-सी में 381 और ग्रुप-डी में 609 नियुक्तियां अवैध रूप से की गई थीं.
- राज्य स्कूल सेवा आयोग के चार पूर्व शीर्ष अधिकारियों और पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के मौजूदा अध्यक्ष कल्याणमय गांगुली के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही की सिफारिश की थी.
- अदालत ने समिति की सिफारिशों को स्वीकार करने के बाद इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दिया.
पार्थ चटर्जी थे घोटाले के वक्त शिक्षा मंत्री
अभी उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री पद पर काबिज पार्थ चटर्जी उस समय शिक्षा मंत्री थे, जब कथित घोटाला हुआ था. CBI उनसे पहले भी दो बार पूछताछ कर चुकी है. पहली बार पूछताछ 25 अप्रैल, जबकि दूसरी बार 18 मई को की गई थी. शुक्रवार (23 जुलाई) को पश्चिम बंगाल के दो मंत्रियों-पार्थ चटर्जी और परेश अधिकारी के घरों पर भी छापेमारी की गई.
अर्पिता मुखर्जी को लेकर क्या कहा ईडी ने?
ED ने आर्पिता मुखर्जी को भी हिरासत में लिया है जो पार्थ चटर्जी की करीबी बताई जा रही हैं. ईडी ने एक बयान में कहा कि अर्पिता मुखर्जी के आवास पर बरामद 20 करोड़ रुपये "उक्त एसएससी घोटाले के अपराध की आय होने का संदेह है". छोटे समय के लिए अभिनेत्री रह चुकीं अर्पिता मुखर्जी 2019 और 2020 में पार्थ चटर्जी की दुर्गा पूजा समिति के प्रचार अभियानों का चेहरा थीं.
टीएमसी और बीजेपी आमने-सामने
सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने इन ईडी के छापों को केंद्र की बीजेपी सरकार द्वारा अपने राजनीतिक विरोधियों को "परेशान" करने के लिए एक "चाल" बताया और इस मुद्दे में किसी भी भूमिका से इनकार किया. दूसरी तरफ बीजेपी (BJP) ने दावा किया है कि सीबीआई और ईडी "सही रास्ते पर आगे बढ़ रहे हैं."
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