कोलकाता: भवानीपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव कराने की “संवैधानिक अत्यावश्यकता” की निर्वाचन आयोग की दलील पर सवाल उठाने वाली जनहित याचिका पर आज फैसला सुना सकता है. 24 सितंबर को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति राजर्षि भारद्वाज की पीठ ने शुक्रवार को मामले में सुनवाई पूरी की और इसपर फैसला सुरक्षित रख लिया. हाई कोर्ट आज सुबह 11 बजे फैसला सुना सकता है. भवानीपुर सीट के लिए चुनाव 30 सितंबर को तय है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी यहां से चुनाव लड़ रही हैं. ममता बनर्जी को अगर मुख्मंत्री बने रहना है तो पांच नवंबर किसी एक सीट से चुनाव जीतना पड़ेगा. 


सुनवायी के दौरान भार कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल ने कड़ा रुख दिखाते हुए मुख्य सचिव के पत्र पर सवाल उठाया था एवं चुनाव आयोग की भूमिका पर भी फटकार लगायी थी. ये भी सवाल किया था कि जब किसी की जीत हो चुकी थी तो दोबारा चुनाव कराने पर जो खर्च आयेगा वो जनता के पैसों से क्यों हो?


वहीं याचिकाकर्ता ने दलील दी थी कि चुनाव आयोग ने कहा था कि यह फैसला लिया गया है कि भवानीपुर निर्वाचन क्षेत्र पर उपचुनाव कराने का फैसला “पश्चिम बंगाल राज्य के विशेष आग्रह और संवैधानिक आवश्यकता पर विचार” करते हुए लिए गया है. उसने दलील दी कि आयोग को ऐसा नहीं करना चाहिए था और इसलिए अदालत को मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए.


निर्वाचन आयोग ने अपनी दलील में कहा कि याचिकाकर्ता संवैधानिक आवश्यकता शब्द के अर्थ को गलत तरीके से वर्णित करने की कोशिश कर रहा है. इसके साथ ही आयोग ने कहा कि इसे मतदाताओं को प्रभावित करने की कोशिश के तौर पर नहीं देखा जा सकता है.


यह दावा करते हुए कि भवानीपुर में उपचुनाव कराने के फैसले में राज्य की कोई भूमिका नहीं है और यह निर्वाचन आयोग का एकमात्र अधिकार है, पश्चिम बंगाल सरकार ने 13 सितंबर को अदालत के समक्ष दलील दी थी कि मुख्य सचिव ने केवल आयोग को पत्र लिखकर अनुरोध किया था कि उप-चुनाव कराया जाए और आयोग ने अनुरोध स्वीकार कर लिया.


विधानसभा में पार्टी सुप्रीमो के निर्वाचन को आसान बनाने के लिए टीएमसी विधायक सोभनदेब चट्टोपाध्याय के इस्तीफे के बाद भवानीपुर सीट पर उपचुनाव आवश्यक हो गया था. इस सीट का प्रतिनिधित्व 2011 और 2016 में बनर्जी ने किया था.


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