हिम्मत, हौसले और जज्बे से जिंदगी उड़ान भरती है, फिर चाहे आपकी उम्र कुछ भी हो और यह 105 साल की रामबाई (Rambai) ने साबित कर डाला है. रविवार 19 जून को वडोदरा में एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया की तरफ से आयोजित नेशनल ओपन मास्टर्स एथलेटिक्स चैंपियनशिप (National Open Masters Athletics Championship) में 100 मीटर रेस में नया रिकॉर्ड बना डाला है. उनकी उम्र का बढ़ता शतक भी उन्हें इस उपलब्धि को हासिल करने से नहीं रोक पाया है.


मान कौर का रिकॉर्ड तोड़ बनी चैंपियन


रविवार को वडोदरा में आयोजित हुई इस रेस में दौड़ने वाली 105 साल की रामबाई इकलौती प्रतिभागी थी, क्योंकि 85 से ऊपर की उम्र का कोई प्रतिभागी नहीं था. इसलिए वह वडोदरा में अकेली दौड़ीं. इस उम्र में उनके जज्बे को देख लोगों ने उनका खासा उत्साहवर्द्धन किया. 1 जनवरी, 1917 को पैदा हुई रामबाई ने 45.40 सेकंड में 100 मीटर की दौड़ पूरी कर रिकॉर्ड कायम किया. इससे पहले ये रिकॉर्ड 74 सेकंड में रेस पूरी करने वाली मानकौर के नाम था. मानकौर को पीछे छोड़ रेस पूरी करते ही वह इस उम्र में गोल्ड मेडल जीतने के लिए मशहूर हो गईं. इसके बाद ही उनके साथ सेल्फी और फोटो लेने वालों लोगों की भीड़ लग गई. 


पहले नहीं मिला मौका


यह पूछे जाने पर कि उन्होंने युवावस्था में दौड़ में भाग क्यों नहीं लिया तो उनका कहना था कि मैं तो तैयार थी, लेकिन मुझे कोई मौका ही नहीं मिला. रेस जीतने के बाद उन्होंने कहा कि यह एक बेहतरीन एहसास है और मैं फिर से दौड़ना चाहती हूं. दौड़ की इस उड़नपरी की उड़ान यही नहीं रूकी है,उनका  अगला टारगेट अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में हिस्सा लेना है. इसके लिए पासपोर्ट बनाने के लिए प्लान कर रही हैं. 


जीत का मंत्र चूरमा-दही


रामबाई ने दौड़ जीतने के बाद हंसते हुए कहा, "मैं चूरमा, दही और दूध खाती हूं और यही मेरी जीत का मंत्र है." उनकी नातिन शर्मिला मुताबिक उनकी नानी  शुद्ध शाकाहारी हैं और रोजाना लगभग 250 ग्राम घी और 500 ग्राम दही खाती हैं. इसके अलावा दिन में दो बार 500 मिलीलीटर शुद्ध दूध पीती हैं. उन्हें बाजरे की रोटी पसंद है. 


नानी की नातिन भी है खुश


नानी की नातिन शर्मिला सांगवान ने भी वडोदरा में पदक जीता है और वह अपनी दादी की उपलब्धि पर गर्व महसूस कर रही हैं. उन्होंने बताया कि वह वडोदरा पहुंचने से पहले आरटी-पीसीआर टेस्ट के बाद 13 जून को नानी को दिल्ली लाई थीं, अब हम  घर लौट रहे हैं. उन्होंने बताया कि वह दादी को दिल्ली से लगभग 150 किमी दूर चरखी दादरी के गांव छोड़ने जाएंगी.


शर्मिला का कहना है कि उनका पूरी फैमिली खेलों में है. उनके परिवार के सेना में नौकरी कर रहे कुछ सदस्यों ने मास्टर्स एथलेटिक मीट के साथ गी राष्ट्रीय स्तर की कई प्रतियोगिताओं में भाग लिया है. उन्होंने बताया कि नानी ने पहली बार बीते नवंबर में वाराणसी में एक दौड़ प्रतियोगिता में भाग लिया था. इसके बाद महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल की प्रतियोगिताओं में भाग लिया. शर्मिला का कहना है कि उनकी नानी एक दर्जन से अधिक पदक जीत चुकी हैं. 


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