बेंगलुरु: देश भर में लगातार बढ़ रहे कोरोना वायरस के कारण चिंता गहराती जा रही है. जरा सी लापरवाही किसी को भी अस्पताल के बेड तक ले जा सकती है. देशभर में बेंगलुरु शहर की कोविड मैनेजमेंट को लेकर खूब वाह वाही हो रही थी, लेकिन पिछले 20 दिन में आखिर ऐसा क्या हुआ कि बेंगलुरु शहर को दोबारा लॉकडाउन में जाना पड़ा. यहां तक कि जिस कोविड मैनेजमेंट को लेकर खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर्नाटक सरकार की तारीफ करते हुए बाक़ी सरकारों को सीखने को कहा था, उसी कोविड मैनेजमेंट पर आज सवाल उठ रहे हैं.
आपको बता दें कि 30 जून तक बेंगलुरु शहर में कुल कोरोना वायरस के केस 4,555 थे. जो कि अब तक 34943 तक पहुंच चुके हैं. यानी जुलाई 1 से अब तक कोरोना वायरस का ग्रोथ रेट 667.1 फीसदी बढ़ चुका है. वहीं, अगर मृत्यु दर की बात करें तो 30 जून को बेंगलुरु में मरने वालों की संख्या 95 थी, जो अब बढ़ कर 720 हो चुकी है. यानी 21 दिनों के भीतर मृत्यु दर भी 657.8 फीसदी बढ़ी है.
इस बीच बढ़ते कोरोना के मामलों को देखते हुए बेंगलुरु में एक हफ्ते का लॉकडाउन भी लागू किया गया था. जो कि अब ख़त्म हो गया है. वहीं, कर्नाटक के सीएम बीएस येदियुरप्पा ने ये साफ कर दिया है कि लॉकडाउन कोरोना से लड़ने का कोई हल नहीं है. ऐसे में कोरोना के साथ ही जीना सीखना होगा.
सीएम के इस फैसले के बाद अब जनता खुद के भरोसे है. ऐसे में बेंगलुरु के लोग अब आत्मनिर्भरता का रास्ता अपना रहे हैं. इस बाबत लोग अपने इलाकों को खुद ही लॉकडाउन कर रहे हैं. अपनी गलियों को खुद ही सील कर रहे हैं. ताकि बाहर का कोई भी व्यक्ति ना आ सके और कोरोना वायरस के फैलने का खतरा कम हो.
इस तरह की तस्वीर बेंगलुरु के कई इलाकों में देखी जा सकती है, जहां पर लोगों ने अपने इलाकों को सील किया है. बेंगलुरु के पृथ्वी ले आउट को यहां के लोगों ने खुद ही सील कर दिया है, ताकि बाहर का व्यक्ति इस इलाके के भीतर ना आ सके. इस इलाके में जाने वाला केवल एक मार्ग खुला रखा गया है, वह भी यहां के लोगों के लिए. यहां एक सिक्योरिटी गार्ड भी रखा गया है, जो कि गाड़ियों पर लगे स्टिकर को देखकर ही यहां के लोगों को अंदर आने की इजाजत देगा. बेंगलुरु में बढ़ते कोरोना वायरस के मामलों को देखते हुए अब लोग आत्मनिर्भर बन रहे हैं, जिसकी बात खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कर चुके हैं.
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