79 साल की उम्र में किया PhD, पढ़ने का ऐसा जज्बा कि आप भी करेंगे सलाम
Bengaluru: प्रोफेसर प्रभाकर कुप्पाहल्ली प्रभाकर ने उम्र को अपने सपनों के आगे कभी नहीं आने दिया. शायद इसी वजह से आज उन्हें सफलता मिली है.
Bengaluru Professor Prabhakar: कहते हैं पढ़ने और सीखने की कोई उम्र नहीं होती है. जब समय मिले जैसी परिस्थिति हो उसे पढ़ना और सीखना चाहिए. इस कहावत को दुनिया के तमाम लोगों ने सार्थक करके दिखाया है. कुछ लोगों ने उम्र को सिर्फ एक संख्या ही माना और अपने सपने को पूरा किया. ऐसा ही कुछ बेंगलुरु में रहने वाले और चार दशकों के प्रोफेसर प्रभाकर कुप्पाहल्ली ने किया है. प्रभाकर ने 79 साल की उम्र में फिजिक्स में पीएचडी कंप्लीट की है.
प्रभाकर ने बताया, उनका सपना था पीएचडी करना जो अब जाकर पूरा हुआ है. उन्होंने यह बहुत पहले यह सपना देखा था, जब वह युवा थे और अमेरिका की कंपनी में कर रहे थे. उस समय वह पीएचडी करने वाले थे, लेकिन कुछ ऐसी परिस्थिति हुई जिसकी वजह से वह कर नहीं पर पाएं. फिर 75 साल की उम्र में सोचा कि पीएचडी करनी चाहिए और 2017 में बेंगलुरु के दयानंद सागर कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में पीएचडी के लिए एडमिशन ले लिया. इसी कॉलेज में वह एक गेस्ट टीचर भी हैं.
1966 में किया ग्रेजुएशन
प्रभाकर का जन्म साल 1944 में हुआ था और उन्होंने 1966 में IISc बेंगलुरु से इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया. कुछ सालों तक IIT बॉम्बे में काम किया और बाद में वह अमेरिका चले गए. प्रभाकर ने 1976 में पिट्सबर्ग विश्वविद्यालय से अपनी मास्टर डिग्री पूरी की और वहीं 15 सालों तक काम किया. जिसके बाद वह भारत लौट आए. प्रभाकर की पत्नी हाउसवाइफ हैं.
प्रभाकर ने उम्र को अपने सपनों के आगे कभी नहीं आने दिया. शायद इसी वजह से आज उन्हें सफलता मिली है. कॉलेज के फिजिक्स डिपार्टमेंट के प्रमुख प्रमुख जूनाथ पट्टाबी ने प्रभाकर को लेकर कहा कि कोर्स-वर्क एग्जाम तीन घंटे का होता है. जिसकी वजह से प्रभाकर की उम्र को देखते हुए कॉलेज ने उन्हें आरामदायक कुर्सी मुहैया कराई थी, लेकिन प्रभाकर ने इसे इनकार कर दिया और अन्य उम्मीदवारों की तरह ही सामान्य कुर्सी में बैठकर एग्जाम दिया.
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