नई दिल्ली: देश के कई हिस्सों में दंगों के लिए आरोपी माने जाने वाली पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी पीएफआई पर एक बार फिर एनआईए का शिकंजा कसने लगा है. एनआईए ने आज बेंगलुरू दंगा मामले में 43 जगहों पर छापेमारी की और यह छापेमारी पीएफआई के पॉलिटिकल फ्रंट सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया के चार ठिकानों पर भी मारी गई. एनआईए का दावा है कि इस छापेमारी के दौरान अनेक अहम दस्तावेज बरामद हुए हैं.
एनआईए के एक अधिकारी ने बताया कि यह मामला इसी साल बेंगलुरू में दो पुलिस थानों में दंगाइयों ने भारी उत्पात मचाया था. घातक हथियारों से लैस इन दंगाइयों ने पुलिस थानों की इमारतों सार्वजनिक और निजी संपत्तियों को नष्ट किया. साथ ही सरकारी कर्मचारियों पर भी हमला बोला. दंगे से आसपास के इलाकों में दहशत फैल गई और इस दंगे का मकसद समाज में आतंक फैलाना था. एनआईए के आला अधिकारी के मुताबिक, बाद में यह मामला जांच के लिए एनआईए को सौंप दिया गया. इस मामले में पीएफआई की पॉलिटिकल फ्रंट के एक पदाधिकारी को भी गिरफ्तार किया गया था.
मामले की आरंभिक जांच के दौरान यह पाया गया कि दंगा पूरी तरह से सुनियोजित था और इसमें सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया के लोगों का भी हाथ था. दोनों थाना क्षेत्रों में हुए दंगे के इस मामले में क्रमशः 124 और 169 आरोपी गिरफ्तार किए जा चुके हैं. आज की छापेमारी के दौरान एनआईए को तलवार, चाकू और लोहे की छड़ आदि हमले में प्रयोग की गई सामग्रियां बरामद हुईं. साथ ही एसडीपीआई, पीएफआई से संबंधित अहम दस्तावेज भी बरामद हुए हैं. मामले की जांच जारी है.
ध्यान रहे कि पीएफआई का नाम लगातार देश के विभिन्न भागों में हो रहे दंगों को भड़काने और दंगों के लिए पैसा पहुंचाने के आरोपों में आता रहा है. चाहे दिल्ली के दंगे हों, उत्तर प्रदेश हो, केरल में प्रोफेसर का हाथ काटने का मामला हो या फिर वह बेंगलुरू के दंगे हों, हर जगह पीएफआई का नाम सामने आता रहा है.
पीएफआई का वर्तमान अध्यक्ष केरल सरकार का सरकारी कर्मचारी बताया जाता है और एबीपी न्यूज़ द्वारा इस मामले का खुलासा किए जाने के बाद उसके खिलाफ केरल सरकार ने विजिलेंस जांच बैठा दी थी. इसकी जांच जारी है. यह भी ध्यान रहे कि पीएफआई पर बैन लगाने को लेकर भी कई राज्य सरकारों ने केंद्र से मांग की हुई है.
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