Water Crisis in Hyderabad: हाल ही में बेंगलुरु में हुए जल संकट के बाद अब हैदराबाद में भी पानी की समस्या होने लगी है. चिलचिलाती गर्मी के कारण शहर के कई हिस्से सूखे की चपेट में आ गए हैं. इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस के अनुसार साल 1973 में बेंगलुरु का निर्माण क्षेत्र 8 फीसदी था, जो 2023 में बढ़कर 93.3 फीसदी हो गया था. इसके साथ ही इन क्षेत्रों के कंक्रीट संरचनाओं में 1055 फीसदी की बढ़ोतरी हुई. इस तरह के शहरीकरण के विस्तार होने से 79 फीसदी क्षेत्रों में पानी के बहाव में कमी आई, जो यहां जल संकट की बड़ी वजह बनी.
इस मामले में हैदराबाद भी ज्यादा पीछे नहीं है. नगरपालिका प्रशासन और शहरी विकास विभाग (एमएयूडी) के रिकॉर्ड के अनुसार साल 2010 और 2014 के बीच हैदराबाद में कुल निर्माण क्षेत्र में 50.7 मिलियन वर्ग फुट की बढ़ोतरी हुई. इसके बाद साल 2015 से 2019 तक इस क्षेत्र में 100.4 मिलियन वर्ग फुट का विस्तार हुआ.
2015 से 2021 तक हैदराबाद में निर्मित रिहायशी क्षेत्र में 500 मिलियन वर्ग फुट से अधिक की बढ़ोतरी हुई. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक विशेषज्ञ ने बताया कि बीते तीन सालों में निर्माण क्षेत्रों में 70 से 80 फीसदी के बीच बढ़ोतरी हुई है.
कंक्रीट के कारण नीचे चला जाता है जल स्तर
शहरीकरण के नाम पर इन क्षेत्रों में बहुत अधिक कंक्रीट हो जाने से मार्च 2024 से ही यहां पानी की कमी देखी जा रही है. कंक्रीट के कारण भूजल के रिसाव के लिए कोई जगह नहीं बचती, जिससे जल स्तर नीचे चला जाता है.
तेलंगाना राज्य प्रदूषण बोर्ड के रिकॉर्ड के अनुसार वर्तमान में हैदराबाद में 185 रजिस्टर्ड पानी निकाय हैं, जिनमें से 150 से अधिक या तो गंदे हैं या फिर उस पर अतिक्रमण कर लिया गया है. वहीं 20 पानी निकाय पूरी तरह से सूख गए हैं. रिपोर्ट के अनुसार ब्लिडिंग बनाने की अनुमति आसानी से मिल जाती है इस वजह से भी तेजी से शहरीकरण हो रहा है.