(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
वेबसाइटों के जरिए चीनी नागरिक चला रहे थे सट्टेबाजी का रैकेट, ED ने छापेमारी कर फ्रीज किए 47 करोड़ रुपये
यह करोड़ों रुपए एचएसबीसी के बैंक खातों में जमा थे. अनेक इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को भी जब्त किया गया है.
नई दिल्ली: चीनी वेबसाइटों के जरिए अवैध सट्टेबाजी के एक बड़े रैकेट का भंडाफोड़ हुआ है. ईडी ने इस मामले में आज दिल्ली, गुड़गांव, मुंबई और पुणे की कुल 15 जगहों पर छापेमारी कर लगभग 47 करोड़ रुपये फ्रीज किए हैं. यह करोड़ों रुपये एचएसबीसी के बैंक खातों में जमा थे. इसके साथ ही छापेमारी में कई इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को भी जब्त किया गया है. इस मामले में हैदराबाद पुलिस की तरफ से तीन चीनी नागरिकों को भी गिरफ्तार किया गया था.
इस पूरे मामले में शुरुआती दौर में एक षड्यंत्र के तहत भारतीय कंपनियां खोली गईं. शुरुआत में कंपनियों को खोलने के लिए डमी इंडियन डायरेक्टर्स का इस्तेमाल किया गया था. कुछ समय बाद, चीनी नागरिकों ने भारत की यात्रा की और इन कंपनियों में डायरेक्टरशिप ली.
कुछ स्थानीय लोगों को एचएसबीसी बैंक में बैंक खाते खोलने और ऑनलाइन वॉलेट्स जैसे पेटीएम, कैशफ्री, आदि के साथ खाता खोलने के लिए इस्तेमाल किया गया. यह भी आरोप है कि इन खातों को खोले जाने के दौरान संबंधित कंपनियों और उनके अधिकारियों द्वारा ध्यान नहीं दिया गया या जानबूझकर लापरवाही की गई जिसके चलते यह खाते खोले जा सके.
ईडी के आला अधिकारी के मुताबिक भारत में बैंक खाते और कंपनियां खोले जाने के बाद इन आरोपी कंपनियों ने पैन इंडिया परिचालन शुरू किया. एक बार बैंक खाते खोले जाने के बाद, भारतीय कर्मचारियों द्वारा चीन में इंटरनेट एक्सेस क्रेडिटर्स को जोड़ा गया और प्रमुख भुगतान निर्देश लाभकारी मालिकों से आए जो चीन में बैठकर इस पूरे षडयंत्र को अंजाम दे रहे थे.
अभियुक्त कंपनियों ने बड़ी संख्या में इसी तरह की दिखने वाली वेबसाइटें मंगाईं, जिन्हें क्लाउडफेयर, यूएसए के माध्यम से होस्ट किया गया था. इन वेबसाइटों ने व्यक्तियों को सदस्य बनाने के लिए और विभिन्न ऑनलाइन चीनी और अन्य एप पर दांव लगाने के लिए आकर्षित किया .
इस खेल को आगे बढ़ाने के लिए आकर्षक पुरस्कारों का वादा किया गया. इसके अलावा, नए ग्राहकों / सदस्यों को आकर्षित करने के लिए एजेंटों का एक नेटवर्क किराए पर लिया गया था.
इन एजेंटों ने बंद टेलीग्राम और व्हाट्सएप आधारित समूह बनाए और लाखों भोले-भाले भारतीयों को आकर्षित किया. नए सदस्यों को निजी तौर पर आमंत्रित करने के लिए रेफरल कोड का उपयोग किया गया था. इससे प्रायोजक सदस्य को कमीशन कमाने में भी मदद मिली. पेटीएम और कैशफ्री का इस्तेमाल इन सभी एजेंट सदस्यों को पैसा इकट्ठा करने और कमीशन देने के लिए किया जाता था. ई-कॉमर्स की आड़ में ऑनलाइन सट्टेबाजी को बढ़ावा देने के लिए सैकड़ों वेबसाइट बनाई गईं. सभी वेबसाइटें दैनिक रूप से सक्रिय नहीं थीं. कुछ को दांव लगाने के लिए सक्रिय किया.
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