पटना: बिहार के भागलपुर दंगा को लेकर राजनीति गर्म है. दंगा फैलाने के आरोप में केंद्रीय मंत्री अश्विन चौके के बेटे अर्जित शाश्वत के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है. हालांकि पुलिस को ठेंगा दिखाते हुए अर्जित ने पटना में ना सिर्फ रैली निकाली बल्कि फेसबुक लाइव के जरिए भाषण भी दिया. विपक्ष सवाल पूछ रहा है कि क्या मोदी के मंत्री की दवाब में नीतीश कार्रवाई नहीं कर पा रहे है?


तेजस्वी ने ट्विट कर कहा, ''लालू जी ने देश को सांप्रदायिक हिंसा से बचाने के लिए आडवाणी जी को गिरफ्तार किया था लेकिन बिहार को बचाने के लिए नीतीश जी से चौबे जी का लड़का गिरफ्तार नहीं हो रहा. ऊपर से ज्ञान बांट रहे हैं.''


आपको बता दें कि बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने 1990 में सोमनाथ से अयोध्‍या के लि‍ए रथ यात्रा नि‍काली थी. उन्हें 23 अक्‍टूबर 1990 को बि‍हार के समस्‍तीपुर जि‍ले से गि‍रफ्तार कि‍या गया था. उस समय लालू यादव बिहार के मुख्यमंत्री थे. लालू ने आडवाणी पर सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने का आरोप लगाया था.





भागलपुर दंगा मामले में गिरफ्तारी पर अर्जित शाश्वत ने कहा है कि मैं न्यायालय की शरण में हूं. खोजना उन्हें पड़ता है जो कहीं गायब हो गए हैं, मैं तो समाज के बीच हूं, अपने घर पर हूं. मैं सरेंडर क्यों करूंगा मैं तो न्यायालय के पास गया हूं.


अर्जित चौबे के जुलूस के बाद भागलपुर के नाथनगर इलाके में हिंसा भड़क उठी थी. पुलिस के मुताबिक अर्जित के नेतृत्व में निकले इस जुलूस के लिए प्रशासनिक अनुमति नहीं ली गई थी. अर्जित का भाषण सुनने के बाद IPC की धारा 153 A और 295A जैसी संगीन धाराएं लगाई गईं. ये धाराएं सांप्रदायिक भावना को भड़काने वालों के खिलाफ लगाई जाती हैं. मोदी सरकार के मंत्री अश्विनी चौबे ने बेटे के बचाव में एफआईआर को कूड़ा करार दिया है. उन्होंने पुलिस पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है.


वहीं विपक्ष के हमलावर रुख पर जेडीयू ने कहा है कि कानून से बड़ा कोई व्यक्ति नहीं है. कानून अपना काम करता है. नीतीश कुमार के राज में ना किसी को फंसाते हैं और ना किसी को बचाते हैं. जब एफआईआर हुई है, वारंट इश्यू हुआ है निश्चित तौर पर धैर्य रखिए कार्रवाई होगी.