नई दिल्ली: राम मंदिर पर सियासी घमासान के बीच आरएसएस की तरफ से बड़ा बयान आया है. सर कार्यवाह भैयाजी जोशी ने प्रयागराज में राम मंदिर के निर्माण को लेकर नई तारीख का एलान कर दिया. भैया जी जोशी ने कहा कि अयोध्या में साल 2025 में राम मंदिर का निर्माण होगा.


उन्होंने कहा कि अयोध्या में साल 2025 में जब राम मंदिर का निर्माण शुरू हो जाएगा तो देश तेजी से विकास करने लगेगा. उनके मुताबिक़ देश में विकास की गति उसी तरह बढ़ेगी, जैसी साल 1952 में सोमनाथ में मंदिर निर्माण के बाद शुरू हुई थी.


आरएसएस के इस ताजा बयान को मोदी सरकार पर तंज के तौर पर भी देखा जा रहा है. पीएम मोदी ने राम मंदिर पर कानूनी कार्रवाई खत्म होने के बाद ही अध्यादेश पर विचार की बात कही थी. आरएसएस की ओर से लगातार राम मंदिर पर अध्यादेश लाने की बात कही जा रही है. संघ प्रमुख मोहन भागवत भी अध्यादेश लाने की बात कह चुके हैं.


अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ?
10 जनवरी कोे अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई फिर टल गई. सुनवाई के दौरान 5 जजों की बेंच में जस्टिस यु यु ललित की मौजूदगी पर मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने एतराज़ जताया था. जिसके चलते जस्टिस ललित ने खुद को सुनवाई से अलग कर लिया, इसके बाद चीफ जस्टिस ने नई बेंच के गठन की बात कही और असली सुनवाई के लिए 29 जनवरी की तारीख तय कर दी.


वीएचपी ने राम मंदिर पर क्या कहा?
राम मंदिर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान पर आलोक कुमार ने कहा, ''वीएचपी की मांग है कि राम मंदिर पर सरकार को कानून बनाने की पहल करनी चाहिए. कुंभ के संत समाज की बैठक में आगे की रणनीति पर फैसला लेंगे. सरकार के पास अभी भी समय है, एक सत्र और भी है. परीक्षा का समय आने से पहले परिणाम घोषित करना जल्दबाजी होगी. हमें उम्मीद है कि सरकार राम जन्मभूमि पर दृड़ता से आगे बढ़ेगी.''


क्या है अयोध्या भूमि विवाद
हिन्दू पक्ष ये दावा करता रहा है कि अयोध्या में विवादित जगह भगवान राम का जन्म स्थान है. जिसे बाबर के सेनापति मीर बाकी ने 1528 में गिरा कर वहां मस्जिद बनाई. मस्जिद की जगह पर कब्जे को लेकर हिन्दू-मुस्लिम पक्षों में विवाद चलता रहा. दिसंबर 1949, मस्जिद के अंदर राम लला और सीता की मूर्तियां रखी गयीं.


जनवरी 1950 में फैजाबाद कोर्ट में पहला मुकदमा दाखिल हुआ. गोपाल सिंह विशारद ने पूजा की अनुमति मांगी. दिसंबर 1950 में दूसरा मुकदमा दाखिल हुआ. राम जन्मभूमि न्यास की तरफ से महंत परमहंस रामचंद्र दास ने भी पूजा की अनुमति मांगी.


इलाहाबाद हाई कोर्ट ने तीन पक्षों में बांट दी थी विवादित ढांचे की 2.77 एकड़ जमीन
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आठ साल पहले विवादित ढांचे की 2.77 एकड़ जमीन तीन पक्षों में बांट दी थी. एक हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड को और बाकी के दो हिस्से श्रीराम लला विराजमान और निर्मोही अखाड़े को. यहां रामजी की मूर्ति रखे जाने का स्थान श्रीरामलला विराजमान के पास है.


राम चबूतरा और सीता रसोई निर्मोही अखाड़े के पास है और बाकी का खाली हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड के पास है. तीनों ने विवादित ढांचे की पूरी जमीन पर अपना हक जताते हुए हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. अभी मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है.


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