नई दिल्लीः राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने सुरेश (भैयाजी) जोशी को संघ का नया सरकार्यवाह चुना. इसके साथ ही भैयाजी जोशी लगातार चौथी बार संघ के सरकार्यवाह बन गए. उन्हें आगामी 3 साल (2018-2021) के लिए आरएसएस का सरकार्यवाह पुनर्निर्वाचित किया गया. यह चुनाव नागपुर के अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में हुआ.


भैयाजी जोशी के नाम पर फिर क्यों लगी मुहर?


संघ के वर्तमान सरकार्यवाह भैयाजी जोशी की जगह उनके पद पर दत्तात्रेय होसबले के नाम की जोरदार चर्चा थी. लेकिन संघ में एक मतप्रवाह ऐसा है जिसका मानना है कि भैयाजी जोशी उपयुक्त हैं.


भैयाजी जोशी की कार्यप्रणाली संघ की पारंपरिक कार्यप्रणाली जैसी ही है. खासतौर पर वे सक्रिय राजनीतिक गतिविधियों और बयानों से दूर रहते है. जबकि संघ के एक धड़े को दत्तात्रेय होसबले राजनीतिक गतिविधियों के ज्यादा पास हैं. एक बड़ा मुद्दा ये भी है कि दत्तात्रेय होसबले की पार्श्वभूमि एबीवीपी की है. वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से संघ के प्रचारक बने. जबकि भैय्याजी जोशी संघ से ही हमेशा जुड़े रहे. चर्चा है कि इन्हीं कारणों से आखिर में भैयाजी जोशी का चयन सरकार्यवाह पद के लिए हुआ.


संघ में भैया जी जोशी का सफर
भैयाजी जोशी अपने छात्र जीवन मे संघ से जुड़े और उसके बाद संघ के प्रचारक के रूप में बाहर निकले. संघ के प्रचारक के रूप में विभिन्न दायित्वों पर काम करते रहे. इससे पहले सेवा भारती के मुखिया के रूप में काम किया. सेवा भारती समाज के कमजोर तबकों को सशक्त करने का काम करता है. लातूर में जब भूकंप आया था तब लोगों के पुनर्वास के लिए भैया जी ने बहुत काम किया था.

भैयाजी जोशी तीन बार से सरकार्यवाह रहे हैं. उनका स्वास्थ अच्छा है चुने जाने का ये एक बड़ा कारण है. भैयाजी जोशी मध्यप्रांत से हैं. उन्होंने लंबे समय तक संघ में प्रचारक के रूप में काम किया है. हर तीन साल में संघ में चुनाव होते हैं.