नई दिल्ली: श्रमिक व किसान संगठनों ने राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है. हड़ताल में 25 करोड़ लोगों के शामिल होने का दावा किया जा रहा है. इससे बैंकिंग, परिवहन और अन्य जरूरी सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं. हड़ताल का आह्वान सरकार की 'जन विरोधी' नीतियों के विरोध में किया गया है.
कौन-कौन से संगठन हड़ताल में शामिल
इंटक, एटक, सिटू, हिंद मजदूर सभा, एआईयूटीयूसी, टीयूसीसी, सेवा, आईआईसीसीटीयू, एलपीएफ, यूटीयूसी जैसे दस मुख्य मजदूर संगठनों ने हड़ताल का आह्वान किया है. इनके अलावा विभिन्न स्वतंत्र फेडरेशनों और एसोसिएशनों ने भी इस हड़ताल का समर्थन किया है.
बैंक समेत कई सेवाएं रहेंगी बाधित
भारत बंद के मद्देनज़र आज बैंक सेवाए प्रभावित होंगी. आज के बंद में एआईबीईए, ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन, बीईएफआई, आईएनबीईएफ, आईएनबीओसी और बैंक कर्मचारी सेना महासंघ जैसे विभिन्न बैंक कर्मचारी संघ भी हड़ताल में हिस्सा लेंगे. सरकारी बैंकों से इतर निजी क्षेत्र की बैंकों की सेवाओं पर असर होने की संभावना नहीं है.
केन्द्रीय कर्मचारियों को सरकार की चेतावनी
सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों से कहा है कि वे अपने कर्मचारियों को आठ जनवरी की प्रस्तावित हड़ताल से दूर रहने को कहें. सरकार ने सार्वजनिक उपक्रमों से इसके साथ ही कामकाज के सुचारू तरीके से संचालन को आपात योजना भी तैयार करने की सलाह दी है. दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने दावा किया है कि आठ जनवरी को राष्ट्रव्यापी हड़ताल में 25 करोड़ लोग शामिल होंगे. सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ हड़ताल का आह्वान किया गया है.
ट्रेड यूनियनों इंटक, एटक, एचएमएस, सीटू, एआईयूटीयूसी, टीयूसीसी, एसईडब्ल्यूए, एआईसीसीटीयू, एलपीएफ, यूटीयूसी सहित विभिन्न संघों और फेडरेशनों ने पिछले साल सितंबर में आठ जनवरी, 2020 को हड़ताल पर जाने की घोषणा की थी.एक कार्यालय ज्ञापन में कहा गया है, ‘‘कोई भी कर्मचारी यदि हड़ताल पर जाता है तो उसे इसका नतीजा भुगतना होगा। उसका वेतन काटने के अलावा उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई भी की जा सकती है.’’
क्यों बुलाया गया भारत बंद
सरकार की श्रम नीतियों और 'जनविरोधी' नीतियों के खिलाफ लेफ्ट और दूसरे संगठनों ने बुधवार भारत बंद बुलाया है. भारत बंद के एलान पर यूपी में अलर्ट जारी किया गया है. डीजीपी मुख्यालय ने अलर्ट जारी किया है. विभिन्न केंद्रीय श्रमिक संगठनों ने कहा है कि वे केंद्र सरकार की श्रम नीतियों और जनविरोधी" नीतियों के खिलाफ 8 जनवरी को 'भारत बंद' करेंगे. विभिन्न केंद्रीय श्रमिक संगठनों साझा बयान में कहा है, "हम उम्मीद करते हैं कि आगामी 8 जनवरी, 2020 को भारत बंद में 25 करोड़ लोगों की भागीदारी होगी. इसमें सरकार द्वारा मज़दूर-विरोधी, जन-विरोधी, राष्ट्र-विरोधी नीतियों को रद्द करने की मांग की जाएगी.''
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