नए कृषि कानूनों पर बुलाए गए भारत बंद का देशव्यापी मिलाजुला असर देखने को मिला. देश के कई हिस्सों में मंगलवार को इसका असर देखा गया क्योंकि दुकानें और वाणिज्यिक प्रतिष्ठान बंद थी. परिवहन व्यवस्था पर भी इसका असर देखा गया क्योंकि प्रदर्शनकारी प्रमुख सड़कों और रेल पटरियों पर आकर प्रदर्शन करते हुए नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे थे. किसानों संगठनों की तरफ से बुलाए गए भारत बंद ज्यादातर शांतिपूर्ण तरीके से रहने के बाद केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कदम उठाते किसान नेताओं को बातचीत के लिए बुलाया. आइये जानते है इस प्रदर्शन से जुड़ी खास बातें-


1-किसान नेता रुद्रू सिंह मंशा ने सिंघु बॉर्डर पर प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, बीच का कोई रास्ता नहीं है. हम सीधा गृह मंत्री अमित शाह से हां या फिर ना की मांग करेंगे. गौरतलब है कि पिछले 12 दिनों से दिल्ली और आसपास हजारों की संख्या में जुटे किसानों को मंगलवार को 13वां दिन है. 13 सदस्यों का प्रतिनिधिमंडल अमित शाह से मुलाकात कर रहे हैं.


2-इधर, स्वराज इंडिया के नेता योगेन्द्र यादव ने दावा किया है कि राष्ट्रव्यापी बंद का 25 राज्यों में करीब दस हजार जगहों पर असर देखा गया. देशव्यापी भारत बंद का देश के प्रमुख विपक्षी दलों और ट्रेड यूनियनों ने समर्थन दिया. हालांकि, इस दौरान बैंक और आपातकालीन सेवाओं को छूट दी गई थी.


3-पंजाब, हरियाणा और दिल्ली के अलावा ओडिशा, महाराष्ट्र, बिहार और महाराष्ट्र में भी बंद का असर देखा गया, हालांकि यह शांतिपूर्ण रहा. बंद के मद्देनजर देशभर में सुरक्षा बढ़ा दी गयी थी. कुछ स्थानों पर अशांत भीड़ भी देखने को मिली और दिल्ली से लगी सीमा पर काफी संख्या में प्रदर्शनकारी जमे रहे. प्रदर्शनकारियों ने पश्चिम बंगाल, बिहार और ओडिशा में कई स्थानों पर रेल पटरियां अवरूद्ध कर दीं.


4-प्रदर्शन के टीकरी जैसे केंद्र बिंदु पर ‘किसान एकता जिंदाबाद’ के नारे लगाए गए और आंदोलन ने जोर पकड़ा. सोशल मीडिया भी इससे अछूता नहीं रहा, जहां दोपहर बाद तक ‘आज भारत बंद है’ हैशटैग छाया रहा. राजस्थान की राजधानी जयपुर में मंडियां बंद रहीं लेकिन दुकानें खुली रहीं, राज्य में सत्तारूढ़ पार्टी कांग्रेस और प्रदेश में मुख्य विपक्षी दल भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच झड़पें होने की खबरें आई.


5-दिल्ली में अधिकतर मुख्य बाजार खुले रहे. हालांकि, सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) द्वारा दिल्ली पुलिस पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को नजरबंद करने का आरोप लगाए जाने के बाद तनाव पैदा हो गया था. दिल्ली पुलिस ने इस दावे को खारिज कर दिया, लेकिन आप के नेता अपने रुख पर अड़े रहे. किसान संगठनों ने सुबह 11 बजे से दोपहर तीन बजे तक चक्का जाम प्रदर्शन के दौरान देशभर में राष्ट्रीय राजमार्ग अवरूद्ध करने और टोल प्लाजा घेरने की धमकी दी थी.


6-अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) के महासचिव हन्नान मौला ने कहा कि ‘भारत बंद’ किसानों की ताकत दिखाने का एक जरिया है और उनकी जायज मांगों को देशभर के लोगों का समर्थन मिला है. मौला ने कहा, ‘‘ हम तीनों (नये कृषि) कानूनों की पूरी तरह वापसी की अपनी मांग पर अडिग हैं और किसी तरह के संशोधनों पर राजी नहीं होंगे. ये ऐसे कानून हैं, जिसमें संशोधन से कोई फर्क नहीं पड़ेगा...यदि हमारी मांगें नहीं मानी गईं तो हम अपने आंदोलन को अगले चरण में ले जाने को तैयार हैं.’’


7-प्रदर्शनकारी किसानों को इस बात का डर है कि नये कृषि कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था को समाप्त कर देंगे और मंडिया खत्म हो जाएंगी, जिसके बाद वे बड़े कॉरपोरेट की दया के सहारे रह जाएंगे. वहीं, सरकार का कहना है कि नये कानून किसानों को बेहतर अवसर उपलब्ध कराएंगे और कृषि में नयी प्रौद्योगिकी लेकर आएंगे.


8-विपक्षी दलों के बुधवार शाम को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलने की उम्मीद है, जिस दौरान वे केंद्र के तीन नये कृषि कानूनों के बारे में अपनी आशंकाओं से उन्हें अवगत कराएंगे. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात करने के पहले (कृषि कानूनों का विरोध करने वाले) विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता बैठक कर चर्चा करेंगे और सामूहिक रुख अपनाएंगे.’’


9-बंद के दौरान पंजाब और हरियाणा में दुकानें एवं वाणिज्यिक प्रतिष्ठान तथा हजारों पेट्रोल पंप बंद रहे. दोनों राज्यों में सुबह से ही किसान राजमार्गों एवं अन्य मुख्य मार्गों पर एकत्र हुए. पंजाब में सभी बड़ी पार्टियों-सत्तारूढ़ कांग्रेस सहित आप और शिरोमणि अकाली दल (शिअद)-- ने अपना समर्थन दिया. पंजाब सचिवालय कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सुखचैन खैरा ने बताया कि किसानों के समर्थन में 50,000 से अधिक सरकारी कर्मचारियों ने सामूहिक आकस्मिक अवकाश लिया.


10-पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने कांग्रेस और वाम दलों के साथ ‘भारत बंद’ का समर्थन किया. हालांकि, इसे लागू कराने से दूर रही. राज्य में बंद का मिला जुला असर देखने को मिला. प्रदर्शनकारियों ने राज्य में कई स्थानों पर रेल पटरियों को जाम किया और सड़कों पर धरना दिया. बिहार में भी बंद से जनजीवन प्रभावित हुआ. राज्य में विपक्षी दलों ने प्रदर्शनकारियों का समर्थन किया। राज्य के जहानाबाद जिले में पटना-पलामू एक्सप्रेस ट्रेन को बंद समर्थकों ने कुछ देर के लिए रोक दिया.