नयी दिल्ली: ‘भारत बंद’ के दौरान आज प्रदर्शनकारी कई जगह रेल की पटरियों पर बैठ गए जिससे करीब 100 ट्रेनों की सेवाएं प्रभावित हुईं. अधिकारियों ने बताया कि अधिकतर सेवाएं बहाल कर ली गयी हैं. अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम (SC-ST act) को ‘कमजोर’ करने की कोशिशों के खिलाफ आज कई दलित संगठनों ने भारत बंद में हिस्सा लिया.


प्रदर्शनकारियों ने राजस्थान, ओडिशा, बिहार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली में रेल और सड़क यातायात को जाम कर दिया और हिंसा भी की. अलग-अलग क्षेत्रों के रेल अधिकारियों ने बताया कि आज सुबह से ही प्रदर्शनकारी रेल यार्डों में इक्ट्ठा होने लगे थे. उत्तर रेलवे के अधिकारियों ने बताया कि प्रदर्शनकारियों के आज सुबह करीब 10 बजे गाजियाबाद रेल यार्ड पहुंचने के बाद सेवाएं बाधित हुईं.


अधिकारियों ने बताया कि सप्त क्रांति एक्सप्रेस, उत्कल एक्सप्रेस, भुवनेश्वर और रांची राजधानी, कानपुर शताब्दी सहित कई ट्रेनों को गाजियाबाद से पहले मेरठ और मोदीनगर में ही रोक दिया गया. उन्होंने बताया कि करीब 2000 लोगों की भीड़ ने हापुड़ स्टेशन पर ट्रेनों को रोका. कई मालगाड़ियों को भी रोका गया. आगरा रेल मंडल पर एक शताब्दी और गतिमान एक्सप्रेस सहित 28 ट्रेनें देरी से चलीं.


फिरोजपुर रेल यार्ड पर आज सुबह साढ़े आठ बजे करीब 150 लोग पहुंचे जिससे ट्रेनों की आवाजाही बाधित हुई. अन्य 200 लोगों ने अमृतसर-लुधियाना रेल खंड पर भी सेवाएं बाधित की. अधिकारी ने बताया कि मार्गों पर से प्रदर्शनकारियों को हटा दिया गया है और थोड़ी देर के बाद ट्रेनों का परिचालन भी बहाल हो गया. प्रदर्शनकारियरों के कारण पूर्व मध्य रेलवे की करीब 43 ट्रेनें प्रभावित हुई क्योंकि वे सुबह पांच बजकर 10 मिनट पर ही धनबाद रेल मंडल पर पहुंच गए थे.


बिहार में प्रदर्शनकारी पटना जंक्शन रेलवे स्टेशन पर पहुंच गए और जबरन टिकट बुकिंग काउंटर बंद करा दिया और पटरियों पर बैठ गए. ईस्ट कोस्ट रेलवे में करीब चार ट्रेन सेवाएं प्रभावित हुई जहां सुबह पांच बजकर 15 मिनट पर प्रदर्शनकारी संबलपुर और खुर्दा मार्ग 6खंड पर बैठ गए थे. उत्तर पूर्व रेलवे, दक्षिण पूर्व रेलवे और उत्तर पूर्व फ्रंटियर रेलवे में करीब 18 ट्रेन सेवाएं प्रभावित हुई लेकिन सुबह साढ़े नौ बजे सेवाएं बहाल हो गईं.


विवाद क्या है ?


सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के बाद दलित समुदाय में नाराजगी है. सुप्रीम कोर्ट ने SC/ST एक्ट के दुरुपयोग पर चिंता जताई थी. सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत गिरफ्तारी पर रोक लगाई. सुप्रीम कोर्ट ने अग्रिम जमानत की व्यवस्था दी. 7 दिनों के अंदर शुरूआती जांच पूरा करने का आदेश दिया है. दलित एक्ट के तहत गिरफ्तारी के लिए एसएसपी की अनुमति जरूरी कर दी गई. सरकारी अधिकारी की गिरफ्तारी के लिए उच्च अधिकारी की अनुमति जरूरी है. दलित संगठन सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सहमत नहीं हैं.