नई दिल्ली: अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम को लेकर सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले के विरोध में दलितों के भारत बंद का बड़ा असर देखा जा रहा है. पंजाब, महाराष्ट्र, यूपी, बिहार और ओडिशा में प्रदर्शनकारियों का हंगामा शुरू हो गया है. भारत बंद के मद्देनजर पंजाब सरकार के अनुरोध पर सीबीएसई ने राज्य में दो अप्रैल को होने वाली 12 वीं और 10 वीं की परीक्षाएं स्थगित कर दी हैं. देश के कई हिस्सों में प्रदर्शनों के बीच कई जगहों पर ट्रेन रोके जाने की भी खबरें हैं.


बोर्ड ने कहा कि पंजाब सरकार के स्कूली शिक्षा महानिदेशक की ओर से भारत बंद के दौरान कानून एवं व्यवस्था की समस्याओं और अन्य गड़बड़ियों की आशंका जताते हुए दो अप्रैल को होने वाली परीक्षाएं स्थगित करने के लिए एक अप्रैल को अनुरोध पत्र मिला था.


सीबीएसई ने कहा कि राज्य सरकार ने स्कूलों को भी बंद रखने का निर्णय लिया है. कल देर रात जारी एक बयान के अनुसार,"महानिदेशक (स्कूली शिक्षा) के पत्र को ध्यान में रखते हुए सीबीएसई ने पंजाब में दो अप्रैल 2018 को होने वाली 12 वीं और10 वीं की परीक्षाओं को स्थगित करने का निर्णय लिया है. संघ शासित प्रदेश चंडीगढ़ और बाकी देश में परीक्षा निर्धारित समय पर होगी." बोर्ड ने कहा कि पंजाब में परीक्षा की अगली तारीख की घोषणा जल्द की जाएगी.


दलित संगठनों ने बुलाया भारत बंद


अनुसूचित जाति, जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम (एसएसी/एसटी एक्ट) को लेकर आए सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के विरोध में दलित और आदिवासी संगठनों ने देशभर में आज भारत बंद का आह्वान किया है. पंजाब सरकार ने बस और मोबाइल इंटरनेट सेवाएं निलंबित रखने का आदेश दिया है जबकि सेना एवं अर्द्धसैनिक बलों को किसी भी परिस्थिति के लिये तैयार रहने के लिये कहा गया है. स्कूल बंद रहेंगे और बसें भी सड़कों पर नहीं चलेंगी. संगठनों की मांग है कि अनुसूचित जाति, जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 में संशोधन को वापस लेकर एक्ट को पूर्व की तरह लागू किया जाए. भारत बंद के आह्वान को कई दलित नेताओं का समर्थन हासिल है. गुजरात के निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवानी ने भी लोगों से भारत बंद में शामिल होने का आह्वान किया है.


पंजाब में खास तैयारियां


पंजाब सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि सोशल मीडिया पर अफवाहें फैलाने वालों पर लगाम लगाने के मद्देनजर राज्य में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं निलंबित रहेंगी. प्रवक्ता ने बताया कि किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिये कल पूरे राज्य में बंद के दौरान सार्वजनिक एवं निजी परिवहन की सेवाएं निलंबित रहेंगी. बैंक भी बंद रहेंगे.


मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के शीर्ष पुलिस अधिकारियों एवं प्रशासनिक अधिकारियों के साथ सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा करने के बाद ये आदेश जारी किये गये. इसके बाद एक वीडियो कॉन्फ्रेंस भी आयोजित की गयी जिनमें मुख्य सचिव, उपायुक्त एवं सभी जिलों के अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे.


सुरक्षा बलों ने आज एहतियात के तौर पर राज्य के कुछ हिस्सों में फ्लैग मार्च निकाला. सरकार ने तीन अप्रैल तक कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिये विशेष कार्यकारी मजिस्ट्रेट नियुक्त किया है. मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने राज्य के लोगों खासकर अनुसूचित जाति के सदस्यों से संयम बरतने और कानून व्यवस्था बनाए रखने की अपील की है.


सरकार पुनर्विचार याचिका दाखिल करेगी


वहीं केन्द्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में आज एक पुनर्विचार याचिका दायर कर एससी-एसटी के कथित उत्पीड़न को लेकर तुरंत होने वाली गिरफ्तारी और मामले दर्ज किए जाने को प्रतिबंधित करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को चुनौती देगी.


दरअसल, इस कानून का लक्ष्य हाशिये पर मौजूद तबके की हिफाजत करना है. आधिकारिक सूत्रों ने बताया है कि सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा सुप्रीम कोर्ट में आज दायर की जाने वाली पुनर्विचार याचिका में यह कहे जाने की संभावना है कि कोर्ट का आदेश अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) अत्याचार निवारण अधिनियम, 1989 के प्रावधानों को कमजोर करेगा.


सूत्रों ने बताया कि मंत्रालय यह भी कह सकता है कि हालिया आदेश से कानून का डर कम होगा और इस कानून का उल्लंघन बढ़ सकता है. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून के तहत तुरंत होने वाली गिरफ्तारी और आपराधिक मामले दर्ज किए जाने को हाल ही में प्रतिबंधित कर दिया था. यह कानून भेदभाव और अत्याचार के खिलाफ हाशिये पर मौजूद समुदायों की हिफाजत करता है.


पीएम से की मुलाकात


लोजपा प्रमुख राम विलास पासवान और केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्री थावरचंद गहलोत के नेतृत्व में एनडीए के एसएसी और एसटी सांसदों ने इस कानून के प्रावधानों को कमजोर किए जाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर चर्चा के लिए पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की थी.


गहलोत ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका के लिये हाल ही में कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद को एक पत्र लिखा था. उन्होंने इस बात का जिक्र किया था कि यह आदेश इस कानून को निष्प्रभावी बना देगा और दलितों एवं आदिवासियों को न्याय मिलने को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करेगा.


इस बीच, गहलोत ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध कर रहे विभिन्न संगठनों और लेागों से शुक्रवार को अपना प्रदर्शन वापस लेने की अपील की. वहीं राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने फैसले पर पुनर्विचार की मांग करते हुए कहा कि मूल अधिनियम को बहाल किया जाना चाहिए.