नई दिल्ली: कोविड वैक्सीन को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में चल रहा मामला अपने पास ट्रांसफर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया है. इसके साथ ही हाई कोर्ट में चल रही सुनवाई पर रोक लगा दी गई है. हाई कोर्ट ने वकीलों, कोर्ट कर्मचारियों और जजों को प्राथमिकता से वैक्सीन लगाने पर सुनवाई शुरू की थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसा ही मामला उसके पास भी लंबित है.


सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह कोविड वैक्सीनेशन को लेकर बॉम्बे समेत दूसरे हाई कोर्ट में लंबित मामलों को भी अपने पास ट्रांसफर करने पर विचार करेगा. भारत बायोटेक और सीरम इंस्टीट्यूट ने सभी मामलों को सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर करने की मांग की है. उन्होंने कहा है कि वह हर हाई कोर्ट में जवाब नहीं दे सकते.


"हम हर हाई कोर्ट में जवाब भी नहीं दे सकते"
भारत बायोटेक के वकील मुकुल रोहतगी ने कोर्ट से कहा, "दिल्ली हाई कोर्ट हमसे जानना चाहता है कि हमारी वैक्सीन बनाने की क्षमता क्या है? वैक्सीन को किस तरह से सप्लाई हो रहा है? 60 साल से अधिक आयु के लोगों को पहले वैक्सीन देने या 45 से अधिक के बीमार लोगों को वैक्सीन देने के पीछे क्या आधार है?" रोहतगी ने दलील देते हुए कहा, "कुछ सवालों का जवाब केंद्र दे सकता है. लेकिन एक कंपनी के तौर पर हम अपनी क्षमता पर खुली चर्चा नहीं चाहते. हम हर हाई कोर्ट में जवाब भी नहीं दे सकते. सुप्रीम कोर्ट तय करे कि इन सवालों का जवाब देना जरूरी है या नहीं?"


इसके बाद वकीलों और कोर्ट कर्मचारियों को प्राथमिकता से वैक्सीन देने पर चर्चा शुरू हुई. बेंच की अध्यक्षता कर रहे चीफ जस्टिस एसए बोबड़े ने कहा कि वकीलों को आजीविका कमाने के लिए लोगों के संपर्क में आना जरूरी है. उनकी मांग पर विचार होना चाहिए. सॉलिसीटर जनरल ने कोर्ट को बताया कि बहुत से पेशे में काम कर रहे लोगों को दूसरों से संपर्क में आना पड़ता है. इसलिए, सिर्फ वकीलों को उनके व्यवसाय के हिसाब से वैक्सीनेशन में प्राथमिकता दे पाना मुश्किल है. कोर्ट ने उनसे याचिका पर जवाब देने के लिए कहते हुए सुनवाई 1 हफ्ता टाल दी.


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