नई दिल्ली: भारत के स्वदेशी कोरोना टीके कोवैक्सीन को विश्व स्वास्थ्य संगठन से इमरजेंसी यूज लाइसेंस की कवायद अगले माह तक पूरी हो जाने की उम्मीद है. इस मंजूरी के हासिल होने पर कोवैक्सीन के टीका के लिए दुनिया के अन्य देशों में व्यापक इस्तेमाल का दरवाजा खुल जाएगा. इस बीच अमेरिका में कोवैक्सीन टीके के सीमित फेज-3 ट्रायल के लिए भी भारत बायोटैक और यूएस एफडीए के बीच बातचीत अंतिम दौर में है.
सरकारी सूत्रों के अनुसार सोमवार को भारत बायोटैक कंपनी और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, बायोटैक्नोलॉजी विभाग के अधिकारियों की एक उच्च स्तरीय बैठक हुई. इस बैठक में कोवैक्सीन के अंतरराष्ट्रीय इस्तेमाल के लिए चल रही कोशिशों की समीक्षा की गई. इन कवायदों से वाकिफ सूत्रों के मुताबिक कंपनी ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन से ईयूएल के लिए जरूरी 90% दस्तावेज जमा कर दिए हैं. वहीं शेष कागजात जून 2021 में जमा हो जाने की उम्मीद है.
भारत बायोटैक के अन्य टीकों और पूर्व अनुभवों के मद्देनजर माना जा रहा है कि उसे विश्व स्वास्थ्य संगठन से ईयूएल से जरूरी मंजूरी हासिल हो जाएगी. ध्यान रहे कि इस मंजूरी के बाद कोवैक्सीन का इस्तेमाल कोवैक्स कार्यक्रम के लिए भी किया जा सकेगा. साथ ही अन्य देशों में इसके उत्पादन के लिए भी विश्व स्वास्थ्य संगठन से सहायता हासिल की जा सकेगी.
महत्वपूर्ण है कि भारतीय कोवैक्सिन को पहले ही 11 देशों से विनियामक मंजूरी हासिल हो चुकी है. साथ ही कोवैक्सिन के प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और उत्पादन के लिए भी 7 देशों की अन्य 11 कंपनियां अपनी दिलचस्पी दिखा चुकी हैं. सूत्रों के मुताबिक हंगरी और ब्राजील में कोवैक्सीन के लिए नियामक मंजूरी हासिल करने के लिए जरूरी दस्तावेज जमा करने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है. साथ ही भारत बायोटैक कंपनी अमेरिका में छोटे पैमाने पर तीसरे चरण के क्लिनिकल परीक्षण करने के लिए अमेरिका के एफडीए के साथ भी अंतिम चरण की बातचीत में है.
कंपनी सूत्रों के मुताबिक उक्त देशों में नियामक मंजूरी के लिए भारत बायोटैक काफी आश्वस्त है. इसके लिए उसने अपने डोजियर में टीके से 6 महीने ही नहीं बल्कि 8 महीने के बाद भी शरीर में बनने वाली रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए डेटा दिया है. साथ ही भारत बायोटैक दुनिया की कुछ उन चुनिंदा कंपनियों में से एक है, जिन्होंने सभी चार कोविड वायरस वेरिएंट पर पेपर प्रकाशित किए हैं.
कोवैक्सीन को विश्व स्वास्थ्य संगठन और अन्य देशों की नियामक संस्थाओं से मिलने वाली मंजूरी भविष्य में वैक्सीन पासपोर्ट संबंधी जरूरतों के लिहाज से अहम होगी. हालांकि इस बारे में सरकारी सूत्रों का कहना है कि फिलहाल किसी भी देश ने वैक्सीन पासपोर्ट स्थापित नहीं किया है. ऐसे में यात्रा जरूरतों के लिए सबकी अपनी आवश्यकताएं हैं और ज्यादातर मामलों में आरटी-पीसीआर टेस्ट की नेगेटिव रिपोर्ट एक मान्य आधार है.
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