बढ़ेगी भारतीय सेना की ताकतः 'कल्याणी एम-4' बख्तरबंद गाड़ियों के आगे बम भी हो जाएगा बेअसर, जानें इसकी खूबियां
भारत-फोर्ज ने इस बख्तरबंद गाड़ी को दक्षिण अफ्रीका की पैरामाउंट कंपनी के साथ मिलकर तैयार की है, और ये सीबीआरएन यानि कैमिकल बायोलॉजिकल, रेडियोलोजिकल और न्युक्लिर अटैक को सहन कर सकती है.
नई दिल्लीः एलएसी से डिसइंगेजमेंट के तुरंत बाद रक्षा मंत्रालय ने भारतीय सेना के लिए 820 बख्तरबंद गाड़ियों का आर्डर दिया है. आपको बता दें कि एलएसी पर टकराव के दौरान चीनी सैनिक इसी तरह की बख्तरबंद गाड़ियों से मूवमेंट करते हैं. इसके अलावा इमरजेंसी प्रोक्योरमेंट के तहत रक्षा मंत्रालय ने सेना के लिए स्वेदशी प्राईवेट कंपनी. भारत-फोर्ज से भी इसी तरह की एम-4 आर्मर्ड गाड़ियों की खरीददारी के लिए हरी झंडी दे दी है. रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, मंगलवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व वाली रक्षा खरीद परिषद (डिफेंस एक्युजेशन कॉउंसिल--डीएसी) की बैठक हुई जिसमें सीडीएस जनरल बिपिन रावत और तीनों सेनाओं के प्रमुख सहित रक्षा सचिव भी मौजूद थे. इस बैठक में 13,700 करोड़ रूपये के रक्षा सौदों की मंजूरी दी गई. इनमें थलसेना के लिए 820 बख्तरबंद गाड़ियों सहित 118 स्वदेशी अर्जुन मैन बैटल टैंक भी शामिल हैं.
इन 820 बख्तरबंद गाड़ियों की कुल कीमत करीब 5300 करोड़ है. लैंड-माईन्स से भी सैनिकों को बचाने वाली इन आर्मर्ड गाड़ियों का इस्तेमाल चीन सीमा सहित कश्मीर में एंटी-टेरेरिज्म ऑपरेशन्स में किया जाएगा. आपको बता दें कि पिछले साल जब पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी के फिंगर-एरिया में भारत के साथ जब चीन का टकराव हुआ था, तो चीनी सैनिक अपनी इन्हीं बख्तरबंद गाड़ियों में फ्रंटलाइन पर पहुंचे थे (5-6 मई 2020). इन आर्मर्ड गाड़ियों को 'हम्वी' कहा जाता है.
गोलियां का कोई खास असर नहीं होता
इन गाड़ियों पर लैंडमाइन्स, बम और राइफल की गोलियां का कोई खास असर नहीं होता है. गाड़ियों के शीशे भी बुलैटप्रूफ होते हैं. भारतीय सैनिक अपनी जिप्सी से एलएसी और दूसरे बॉर्डर पर मूवमेंट करते हैं. रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, ये सभी बख्तरबंद गाड़ियां आत्मनिर्भर प्लान के अंतर्गत आईडीडीएम कैटेगरी के तहत खरीदी जाएंगी यानि इंडिजेनस डिजाइन, डेवलपड एंड मैन्युफैक्चर.
Here is #KalyaniM4 multi-role mine-protected armoured personnel carrier (CBRN protected too) pic.twitter.com/JcEKkmLWW0
— Neeraj Rajput (@neeraj_rajput) February 23, 2021
इसके अलावा डीएसी ने थलसेना के लिए 118 स्वदेशी अर्जुन मार्क-1ए टैंकों को खऱीदने की मंजूरी दी. डीआरडीओ और ओएफबी यानि ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड ने इस स्वदेशी टैंक को तैयार किया है. हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तमिलनाडु के अपने दौरे के दौरान अर्जुन टैंक को थलसेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे को सौंपा था. ये मार्क-1ए टैंक पुराने अर्जुन टैंक से उन्नत और घातक हैं और इनमें पुराने अर्जुन टैंक से 71 अपग्रेड किए गए हैं.
आपको यहां पर ये भी बता दें कि सोमवार को प्रधानमंत्री मोदी ने रक्षा बजट पर आयोजित के वेबिनार में रक्षा-क्षेत्र में प्राईवेट पार्टनरशिप पर जोर दिया था. उसके अगले ही दिन रक्षा मंत्रालय ने थलसेना के लिए इमरजेंसी प्रोक्योरमेंट के तहत भारत-फोर्ज कंपनी से 'कल्याणी एम-4' आर्मर्ड व्हीकल्स खरीदने की मंजूरी दे दी है. इस सौदे की कुल कीमत 177.95 करोड़ है--कितने गाड़ियां मिलेंगी इस सौदे से उसे गुप्त रखा गया है.
कल्याणी एम-4 एक मल्टीरोल माइन प्रोटेक्टेड आर्मर पैर्सनल कैरियर व्हीकल है
इस सौदे के बाद भारत-फोर्ज कंपनी ने बयान जारी कर कहा कि कल्याणी एम-4 एक मल्टीरोल माइन प्रोटेक्टेड आर्मर पैर्सनल कैरियर व्हीकल है जिसमें 8-10 सैनिक सवार हो सकते हैं. ये गाड़ी करीब 50 किलो टीएनटी गोला-बारूद तक के हमले को झेल सकती है. मंगलवार को रक्षा खरीद परिषद ने ये भी कहा कि हथियारों की कुछ कैटेगरी को छोड़कर कोशिश ये की जाएगी कि दो साल के भीतर सभी सौदों को पूरा कर लिया जाए अभी 5-6 साल लग जाते हैं.
इसके अलावा, मंगलवार को डीआरडीओ ने बॉर्डर पर माइन्स बिछाने वाली माइन लेयर-सेल्फ प्रोपेडलड व्हीकल के लिए गोदरेजज कंपनी को ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलोजी (टीओटी) सौंपी है ताकि सेना के लिए इस तरह की खास गाड़ियां बनाए जो खुद ब खुद सीमावर्ती इलाकों में माइन्स बिछा सके. अभी सैनिक हाथ से माइन्स बिछाते हैं जो बेहद जोखिम भरा कार्य है.
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