Bharat Jodo Yatra: कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ शामली (उत्तर प्रदेश) के ऐलम गांव में रातभर रुकने के बाद पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की अगुवाई में गुरुवार (5 जनवरी) की सुबह छह बजे फिर शुरू हुई. घने कोहरे और ठिठुरन भरी सर्दी के बीच अपनी अगली मंजिल की तरफ रवाना हुई इस यात्रा में जन समूह की अच्छी खासी भागीदारी देखने को मिली. इस दौरान उत्तर प्रदेश से जुड़े मामलों की पार्टी प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra) यात्रा में शामिल नहीं हो पाईं.
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता अंशु अवस्थी ने बताया कि पार्टी की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी की तबीयत खराब होने के चलते उनकी देखभाल में व्यस्त प्रियंका गांधी बुधवार (4 जनवरी) को भी यात्रा में हिस्सा नहीं ले सकी थीं. अपनी मां को देखने के लिए राहुल भी बुधवार शाम दिल्ली के लिए रवाना हो गए थे. उन्होंने बताया कि वह गुरुवार सुबह ऐलम गांव लौटे.
यूपी से हरियाणा में दाखिल हो जाएगी यात्रा
कांग्रेस के जारी कार्यक्रम के मुताबिक, भारत जोड़ो यात्रा गुरुवार को सांप्रदायिक लिहाज से बेहद संवेदनशील माने जाने वाले कैराना से भी होकर गुजरेगी. वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में कैराना से बहुसंख्यक समुदाय के लोगों का पलायन एक बड़ा मुद्दा बना था. पार्टी सूत्रों के अनुसार, यात्रा गुरुवार को ऐलम गांव से शुरू होकर ऊंचा गांव पहुंचेगी, जहां थोड़ी देर रुककर दोपहर साढ़े तीन बजे यात्रा फिर आगे बढ़ेगी और कैराना होते हुए हरियाणा की सीमा में दाखिल हो जाएगी.
यात्रा शाम साढ़े छह बजे पहुंचेगी पानीपत
सूत्रों के मुताबिक, शाम साढ़े छह बजे हरियाणा के पानीपत में कुछ देर ठहरने के बाद यात्रा सनोली खुर्द पहुंचेगी और वहां रात में रुकेगी. इसके बाद पंजाब से होते हुए यह एक दिन हिमाचल प्रदेश से गुजरेगी और उसके बाद जम्मू-कश्मीर में प्रवेश करेगी, जहां इसका समापन होगा.
पिछले साल सितंबर में राहुल गांधी की अध्यक्षता में कन्याकुमारी से शुरू हुई कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ तीन जनवरी को गाजियाबाद के लोनी बॉर्डर से उत्तर प्रदेश में दाखिल हुई थी. उसी दिन यात्रा बागपत पहुंची थी और मवीकलां गांव में पड़ाव डाला था. बुधवार को यात्रा मवीकलां से निकलकर निवारा और सरूरपुर होते हुए बड़ौत जिले में दाखिल हुई थी, फिर शाम को यह शामली पहुंचकर ऐलम गांव में ठहरी थी.
‘जाटलैंड’ में पकड़ होगी मजबूत?
कांग्रेस ‘भारत जोड़ो यात्रा’ को ‘गैर-राजनीतिक’ यात्रा बता रही है लेकिन इसके सियासी मायने भी तलाशे जा रहे हैं. कांग्रेस की यह यात्रा पश्चिमी उत्तर प्रदेश से गुजर रही है, जहां कांग्रेस लगभग तीन दशक पहले कमजोर पड़ गई थीं. ‘जाटलैंड’ के नाम से पहचाने जाने वाले बागपत और शामली में कांग्रेस की राजनीतिक पकड़ लंबे समय से कमजोर रही है. बागपत लोकसभा क्षेत्र से वर्ष 1996 में आखिरी बार चौधरी अजित सिंह ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीता था. वहीं, शामली जिले की कैराना लोकसभा सीट से 1984 में अख्तर हसन कांग्रेस से आखिरी बार सांसद चुने गए थे.