भारत मंडपम में कैसे दिखाई गईं सभी देशों की धरोहर? ऋषि सुनक समेत सभी राष्ट्राध्यक्षों को खूब आया पसंद
G20 Summit in India: भारत मंडपम में आयोजन के दौरान अलग-अलग देशों की सांस्कृतिक धरोहर को प्रदर्शित किया गया था. संस्कृति मंत्रालय के सचिव ने बताया कि इसे लेकर किस तरह की तैयारियां की गई थी.
Bharat Mandapam Cultural Corridor: बीते दिनों भारत ने जी20 की मेजबानी की, जिसका आयोजन राजधानी दिल्ली के भारत मंडपम में हुआ. यहां सांस्कृतिक मंत्रालय की ओर से कल्चर कॉरिडोर का आयोजन किया गया था. इस कल्चर कॉरिडोर में तमाम देश के सांस्कृतिक चिन्ह, राजनीतिक निशानियां, देश की ऐतिहासिक धरोहरों से जुड़ी प्रदर्शनी लगाई गई थी. जहां भारत की ओर से पाणिनि की अष्टाध्यायी से 2500 साल पहले लिखी गई चीजों को पेश किया गया.
वहीं कोरिया की तरफ से हट, जापान की तरफ से उनकी राष्ट्रीय पोशाक, बांग्लादेश से मुजीबुर रहमान की मूर्ति, इंडोनेशिया की तरफ से उनका पोशाक, ब्राजील की तरफ से उनका पार्लियामेंट, रूस की ओर से उनका एथेनिक गाउन प्रदर्शनी में लगाए गए थे.
सभी देशों ने एक-दूसरे की संस्कृति को समझा
इन राष्ट्रीय धरोहर को लगाने के पीछे का मकसद यह था कि तमाम देश एक दूसरे की राष्ट्रीय धरोहरों को और बेहतर तरीके से जान और समझ सकें. साथ ही अपने देश की निशानियां को देखकर और ज्यादा उत्साहित हों. संस्कृति मंत्रालय की ओर से डिजिटल म्यूजियम भी बनाया गया था, जहां तमाम देश के 30 सेकंड के वीडियो चलाए जा रहे थे. इसमें देश की राजनीतिक झलक, सांस्कृतिक पहलुओं, प्राकृतिक सौंदर्य, खूबसूरती, वहां की कला सभी का समागम देखने को मिला. यह सब कुछ डिजिटल म्यूजियम रिमोट से कंट्रोल किया जा रहा था.
ऐसे में जो देश वहां पर आता, जिस देश के डेलिगेट्स वहां पर पहुंचते, उनके हिसाब से उनका वीडियो चला दिया जा रहा था. भारत की ओर से गंगा नदी की झलक, गंगा आरती, योग, ऋषि मुनियों की तपस्या, हिमालयन रेंज और भारत के तमाम जंगल वीडियो में शामिल किए गए थे.
संस्कृति मंत्रालय के सचिव ने क्या कहा?
संस्कृति मंत्रालय के सचिव गोविंद मोहन ने कहा, "हमारा उद्देश्य केवल यह था कि तमाम देश एक दूसरे को और बेहतर जाने एक दूसरे को बेहतर समझें. हम एक छत पर एक अर्थ के नीचे सभी एक हैं. आम लोगों के लिए अभी इसे खोला नहीं गया और इस पर हम विचार कर रहे हैं, लेकिन इसको देखने कई हजार स्कूल के बच्चे पहुंचे. इसे लेकर हमें काफी ज्यादा प्रोत्साहन मिला."
संस्कृति मंत्रालय के सचिव ने कहा, "करीब 6 महीने की मेहनत के बाद हम यह सामने लेकर आ पाए हैं, जिसमें तमाम देशों को हमने कई मेल्स लिखी. उसके बाद देशों ने अपने हिसाब से जिसको वह अपना धरोहर मानते हैं, भेजने का अनुरोध किया और फिर सब मिला कर आपके सामने ये प्रस्तुत है. इस कॉरिडोर में कई क्षेत्र बनाए गए हैं, जहां पर डिजिटल बैठकर अपने देश को समझ और सुन सकते हैं. साथ ही दूसरे देशों के कल्चर को भी समझ सकते हैं."
संस्कृत में पेश किया गया भारत का धरोहर
संस्कृति मंत्रालय की संयुक्त सचिव लीना पांडेय ने कहा, "भारत की ओर से ऋग्वेद, अष्टाध्यायी पेश किया गया, जिसमें हमने संस्कृत में बड़ी खूबसूरती से अपनी धरोहर अपनी संस्कृति को दिखाया है. संस्कृत वह भाषा है, जिसको सबसे बेहतरीन और परफेक्ट होने की उपाधि मिली है. हालांकि कई और भाषाओं का भी प्रयोग यहां पर किया गया है, ताकि दूसरे देश के डेलिगेट्स इसको बेहतर तरीके से समझ सकें."
ऋषि सुनक को आई थी पसंद
संयुक्त सचिव ने आगे कहा, "तमाम देश के राष्ट्रीय अध्यक्षों से हमें काफी ज्यादा प्रोत्साहन मिला. जब वह यहां पहुंचे तो कई बार उन्होंने अपने स्कल्पचर्स के साथ तस्वीरें खिंचवाई और साथ ही दूसरे देशों के बारे में भी जानने में रुचि दिखाई. ब्रिटेन के पीएम ऋषि सुनक मैग्नाकार्टा के पास गए और हमने इसे कैसे बनाया, ये जानने की कोशिश की. वहीं ऑस्ट्रेलिया के प्रेसिडेंट कई बार हमारे डिजिटल म्यूजियम में घूमने आए. जापान के पीएम ने हमें यहां तक कहा कि यह वही जगह है जहां हम रहते हैं. इस तरह की कई कॉम्प्लीमेंट हमें मिले जिनको लेकर हम काफी ज्यादा खुश हैं."
संस्कृति मंत्रालय की संयुक्त सचिव ने कहा, "इन सब चीजों की तैयारी कई महीने पहले से चल रही थी. हमने तमाम कोशिशों के बाद इसको पूरा किया. सबसे पहले हमें फ्रांस से मोनालिसा की पेंटिंग मिली, जिसके बाद तमाम देश ने अपने-अपने राष्ट्रीय धरोहर और अपनी पसंद की चीजों को चुनकर के हमें भेजा और हम प्रदर्शनी लगा पाए.
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