Bharat Ratna Award: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को मिलेगा भारत रत्न, मोदी सरकार की बड़ी घोषणा
Bharat Ratna Karpoori Thakur: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत भारत रत्न से नवाजा जाएगा. मंगलवार (23 जनवरी) को केंद्र सरकार ने इसकी घोषणा की.
Bharat Ratna Award: मोदी सरकार ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न (मरणोपरांत) से सम्मानित करने की घोषणा मंगलवार (23 जनवरी) को की. राष्ट्रपति भवन की ओर से इस संबंध में मंगलवार को एक विज्ञप्ति जारी की गई. यह घोषणा ऐसे समय की गई है जब बुधवार (24 जनवरी) को कर्पूरी ठाकुर की 100वीं जयंती है.
कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न से सम्मानित किए जाने की मांग लंबे समय से उठ रही थी. मंगलवार (22 जनवरी) को जेडीयू नेता केसी त्यागी ने ठाकुर को भारत रत्न देने के साथ-साथ उनके नाम पर विश्वविद्यालय खोलने की मांग की थी.
क्या बोले पीएम मोदी?
मंगलवार (22 जनवरी) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने आधिकारिक X हैंडल से कर्पूरी ठाकुर की एक तस्वीर साझा करते हुए पोस्ट में लिखा, ''मुझे खुशी है कि भारत सरकार ने सामाजिक न्याय के प्रतीक महान जननायक कर्पूरी ठाकुर जी को भारत रत्न से सम्मानित करने का निर्णय लिया है और वह भी ऐसे समय में जब हम उनकी जन्मशती मना रहे हैं. यह प्रतिष्ठित मान्यता हाशिए पर पड़े लोगों के लिए एक योद्धा और समानता और सशक्तीकरण के दिग्गज के रूप में उनके स्थायी प्रयासों का एक प्रमाण है.''
पीएम मोदी ने लिखा, ''दलितों के उत्थान के लिए उनकी अटूट प्रतिबद्धता और उनके दूरदर्शी नेतृत्व ने भारत के सामाजिक-राजनीतिक ताने-बाने पर एक अमिट छाप छोड़ी है. यह पुरस्कार न केवल उनके उल्लेखनीय योगदान का सम्मान करता है बल्कि हमें एक अधिक न्यायपूर्ण और न्यायसंगत समाज बनाने के उनके मिशन को जारी रखने के लिए भी प्रेरित करता है.''
I am delighted that the Government of India has decided to confer the Bharat Ratna on the beacon of social justice, the great Jan Nayak Karpoori Thakur Ji and that too at a time when we are marking his birth centenary. This prestigious recognition is a testament to his enduring… pic.twitter.com/9fSJrZJPSP
— Narendra Modi (@narendramodi) January 23, 2024
बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने जताई खुशी
कर्पूरी ठाकुर को देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न दिए जाने की घोषणा पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खुशी जताई है. उन्होंने केंद्र सरकार के इस फैसले को सही निर्णय बताया. सीएम नीतीश ने कहा कि स्वर्गीय कर्पूरी ठाकुर जी को उनकी 100वीं जयंती पर दिया जाने वाला ये सर्वोच्च सम्मान दलितों, वंचितों और उपेक्षित तबकों के बीच सकारात्मक भाव पैदा करेगा.
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि वह हमेशा से कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने की मांग करते रहे हैं. जेडीयू की वर्षो पुरानी मांग पूरी हुई है.
कर्पूरी ठाकुर दो बार बने थे बिहार के सीएम
कर्पूरी ठाकुर को बिहार में जननायक के नाम से पुकारा जाता है. वह दो कुछ-कुछ समय के लिए बिहार के मुख्यमंत्री बने थे. मुख्यमंत्री के रूप में उनका पहला कार्यकाल दिसंबर 1970 से जून 1971 तक चला था और इसके बाद वह दिसंबर 1977 से अप्रैल 1979 तक सीएम पद पर रहे थे. पहली बार वह सोशलिस्ट पार्टी और भारतीय क्रांति दल की सरकार में सीएम बने थे और दूसरी बार जनता पार्टी की सरकार में मुख्यमंत्री बने थे.
स्वतंत्रता आंदोलन में हुए थे शामिल, जेल भी गए
कर्पूरी ठाकुर का जन्म बिहार के समस्तीपुर जिले के पितौंझिया (अब कर्पूरी ग्राम) गांव में गोकुल ठाकुर और रामदुलारी देवी के घर में हुआ था. छात्र जीवन में वह राष्ट्रवादी विचारों से प्रभावित थे और ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन में शामिल हो गए थे. उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल होने के लिए अपना स्नातक कॉलेज छोड़ दिया था. स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल होने के लिए उन्होंने 26 महीने जेल में बिताए थे.
कर्पूरी ठाकुर ने किया था 28 दिनों तक आमरण अनशन
देश को अंग्रेजी हुकूमत से स्वतंत्रता मिलने के बाद कर्पूरी ठाकुर ने अपने गांव के स्कूल में एक शिक्षक के रूप में काम किया था. वह 1952 में सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार के रूप में ताजपुर निर्वाचन क्षेत्र से बिहार विधानसभा के सदस्य बने थे. 1960 में केंद्र सरकार के कर्मचारियों की आम हड़ताल के दौरान उन्हें गिरफ्तार किया गया था. 1970 में उन्होंने टेल्को मजदूरों के हितों को बढ़ावा देने के लिए 28 दिनों तक आमरण अनशन किया था.
बिहार में की थी पूर्ण शराबबंदी लागू
कर्पूरी ठाकुर हिंदी भाषा के समर्थक थे और बिहार के शिक्षा मंत्री के रूप में उन्होंने मैट्रिक पाठ्यक्रम से अंग्रेजी को अनिवार्य विषय से हटा दिया था. 1970 में बिहार के पहले गैर-कांग्रेसी समाजवादी मुख्यमंत्री बनने से पहले उन्होंने बिहार के मंत्री और उपमुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया. उन्होंने बिहार में पूर्ण शराबबंदी भी लागू की थी. उनके शासनकाल के दौरान बिहार के पिछड़े इलाकों में उनके नाम पर कई स्कूल और कॉलेज स्थापित किए गए थे.
कर्पूरी ठाकुर जयप्रकाश नारायण के करीबी थे. देश में आपातकाल (1975-77) के दौरान उन्होंने और जनता पार्टी के अन्य प्रमुख नेताओं ने समाज के अहिंसक परिवर्तन के उद्देश्य से संपूर्ण क्रांति आंदोलन का नेतृत्व किया था. बिहार के कई नेता कर्पूरी ठाकुर को अपना आदर्श मानते हैं.
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