(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
बेरोजगारी और निजीकरण के मुद्दे पर मोदी सरकार के खिलाफ़ 'सरकार जगाओ सप्ताह' मनाएगा भारतीय मजदूर संघ
सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए भारतीय मजदूर संघ का आंदोलन होगा. ये आंदोलन 24 जुलाई से 30 जुलाई तक चलेगा.
नई दिल्ली: मोदी सरकार की नीतियों को लेकर संघ परिवार से जुड़ी संस्था भारतीय मज़दूर संघ नाराज़ है और लगातार सरकार के ख़िलाफ़ आवाज़ उठा रहा है. बीएमएस ने अब मोदी सरकार के ख़िलाफ़ 'सरकार जगाओ सप्ताह' मनाने का फ़ैसला किया है. 24 जुलाई से 30 जुलाई तक चलने वाले इस आंदोलन के दौरान भारतीय मज़दूर संघ मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों के अलग अलग पहलुओं के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन करेगा. इसके तहत रोज़ाना एक सेक्टर का चयन कर राज्य की राजधानियों, ज़िला मुख्यालयों और बड़े औद्योगिक शहरों और क्षेत्रों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए आंदोलन किया जाएगा.
प्रवासी मज़दूर और नौकरी का मुद्दा अहम
मज़दूर संघ पांच विषयों को लेकर सरकार के ख़िलाफ़ आंदोलन करेगा. इनमें सबसे अहम असंगठित क्षेत्र, ख़ासकर प्रवासी मज़दूरों की समस्या है. असंगठित क्षेत्र में काम पर लगे मज़दूरों का एक बड़ा तबका प्रवासी मज़दूरों का होता है और लॉकडाउन के दौरान उनसे जुड़ी समस्याओं ने सबका ध्यान खींचा है. इसके अलावा बेरोज़गारी और रोज़ाना नौकरी जाने की घटना को भी संघ ने काफ़ी गम्भीरता से लिया है. ख़ासकर लॉकडाउन के दौरान नौकरी जाने की घटनाओं में लगातार तेज़ी आ रही है.
निजीकरण का भी ज़बर्दश्त विरोध
भारतीय मज़दूर संघ ने रेलवे और रक्षा क्षेत्र में निजीकरण के फ़ैसले का पुरज़ोर विरोध करने का फ़ैसला किया है. संघ के महासचिव विरजेश उपाध्याय के मुताबिक़, सरकार जिस आक्रामकता के साथ सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को निजी हाथों में बेच रही है वो ठीक नहीं है और हम उसके ख़िलाफ़ हैं. अभी हाल ही में कोयला क्षेत्र में निजीकरण के ख़िलाफ़ मज़दूर संघ ने बन्द का ऐलान किया था और संघ के नेताओं के मुताबिक़ उस बन्द को ज़बरदस्त समर्थन मिला है. इसी तरह रेलवे और रक्षा क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए खोले जाने का भी संघ विरोध करेगा.
काम के घण्टों में बढ़ोतरी मंज़ूर नहीं
हाल ही में उत्तर प्रदेश और पंजाब समेत कुछ राज्यों ने श्रम क़ानूनों में बदलाव कर मजदूरी के अधिकतम समय को बढ़ाने का फ़ैसला किया है जिसका सभी दलों से जुड़े मज़दूर संघों ने कड़ा विरोध किया है. इसके अलावा श्रम क़ानूनों के अलग अलग अन्य प्रावधानों को भी लचीला लगाने का आरोप लग रहा है. अपने आंदोलन में मज़दूर संघ ने अपने पांचवें मुद्दे के तौर पर मज़दूरों के लंबित मज़दूरी, पारिश्रमिक और वेतन भत्ते के भुगतान में हो रही देरी को भी शामिल करने का फ़ैसला किया है.
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