BNS News: भारतीय न्याय संहिता की धारा 84 इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है. इस धारा के तहत शादीशुदा महिला को आपराधिक इरादे से बहलाने-फुसलाने को दंडनीय अपराध माना जाएगा. बीएनएस में 20 चैप्टर हैं, जिसमें चैप्टर 5 में महिलाओं के साथ-साथ बच्चों के खिलाफ अपराध का कानून भी है. 1 जुलाई से देशभर में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम लागू हो गया है. 


बीएनएस ने 163 साल पुराने आईपीसी की जगह ली है, जिसे अंग्रेजों ने अक्टूबर, 1860 में लागू किया था. इस कानून में अपराधों के लिए कई ऐसे प्रावधान किए हैं, जो पहले आईपीसी के तहत नहीं थे. उदाहरण के लिए अब शादी या फिर नौकरी का झांसा देकर किसी के साथ यौन संबंध बनाने पर 10 साल की जेल और जुर्माने का प्रावधान किया गया है. इसी तरह से संगठित अपराध के लिए भी कड़ी सजा का प्रावधान कर दिया गया है. दोषी को सामाजिक सेवा का दंड देने का भी प्रावधान है. 


क्या है बीएनएस की धारा 84? 


अब यहां सवाल उठता है कि आखिर भारतीय न्याय संहिता की धारा 84 क्या है, जिसकी सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है. इस धारा में कहा गया है कि अगर कोई शख्स किसी ऐसी महिला को अपने साथ यौन संबंध बनाने के लिए बहलाता या फुसलाता है, जो पहले से ही शादीशुदा है तो ऐसे व्यक्ति को सजा दी जाएगी. ऐसा तभी होगा, जब ऐसा करने वाले शख्स को बखूबी ये बात मालूम हो कि वह जिस महिला को बहला-फुसलाकर संबंध बना रहा है, वो पहले से ही किसी दूसरे शख्स की पत्नी है. 


ये धारा सिर्फ बहला-फुसलाकर महिला के साथ यौन संबंध बनाने पर ही लागू नहीं होती है, बल्कि अगर वह महिला को छुपाता है या फिर हिरासत में रखता है तो भी उसे सजा दी जाएगी. अगर आसान शब्दों में कहें तो आपराधिक इरादे से किसी शादीशुदा महिला को बहला-फुसलाकर उसके पति से दूर करना या हिरासत में रखना अब दंडनीय अपराध बन गया है. अगर कोई शख्स ऐसा करता पाया जाता है तो उसे दो साल तक कैद या जुर्माने की सजा या फिर दोनों हो सकते हैं. 


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