Rajyasabha Election 2022: 10 जून को देश के 15 राज्यों की 57 राज्यसभा सीटों पर चुनाव होने हैं. सभी राज्यों में सियासी दलों ने इस राज्यसभा चुनाव (Rajya Sabha Election 2022) को लेकर कमर कस ली है. भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 10 जून को 15 राज्यों की 57 सीटों पर होने वाले वाले राज्यसभा चुनाव के लिए 16 उम्मीदवारों की लिस्ट रविवार को जारी कर दी है. उत्तर प्रदेश से बीजेपी ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी (Former State President Lakshmikant Vajpayi) और राधामोहन अग्रवाल (Radha Mohan Aggrawal) सहित 6 उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया है. आपको बता दें कि जुलाई में राष्ट्रपति (President Election) के चुनाव भी होने वाले हैं. 31 मई राज्यसभा चुनाव के नामांकन की आखिरी तारीख है. 


सभी पार्टियों की पूरी तैयारियों के बावजूद उन्हें चुनाव में क्रॉस वोटिंग (Cross Voting) का डर भी सता रहा है. आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, झारखंड, राजस्थान, पंजाब, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, उत्तराखंड, हरियाणा, तमिलनाडु, कर्नाटक और राजस्थान राज्यों की 57 राज्यसभा सीटों पर चुनाव होने हैं. इस बार के राज्यसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी का सूपड़ा साफ हो जाएगा. बसपा के पास अब इतने विधायकों की संख्या भी नहीं बची है कि वो अपने किसी भी उम्मीदवार को राज्यसभा के लिए भेज सके.  


बीजेपी ने इन 16 को दिया राज्यसभा का टिकट
बीजेपी ने कर्नाटक से निर्मला सीतारमन और जग्गेश, महाराष्ट्र से पीयूष गोयल और डॉ. अनिल सुखदेवराव, मध्य प्रदेश से कविता पाटीदार,  राजस्थान से घनश्याम तिवारी, उत्तर प्रदेश से लक्ष्मीकांत बाजपेई, संगीता यादव, सुरेंद्र सिंह नागर, राधामोहन अग्रवाल, दर्शना सिंह,  बाबूराम निषाद, उत्तराखंड से कल्पना सैनी, बिहार से शंभू शरण पटेल को और सतीश चंद्र दुबे को उम्मीदवार बनाया है वहीं हरियाणा से कृष्ण लाल पंवार को राज्यसभा का उम्मीदवार बनाया है. आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 11 सीटों पर चुनाव होने हैं. जिसमें से पार्टी ने 6 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया है. इस बार पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी को बीजेपी ने राज्यसभा का टिकट दे दिया है. 


बीजेपी के 25 राज्यसभा सांसदों का कार्यकाल खत्म हो रहा 
आपको बता दें कि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के 25 राज्यसभा सांसदों का कार्यकाल खत्म हो रहा है. सबसे ज्यादा 11 सीटों पर उत्तर प्रदेश में चुनाव है जिनमें से 8 सीटों पर बीजेपी के आने की संभावना है. वहीं तीन सीटों पर समाजवादी पार्टी गठबंधन के उम्मीदवारों का राज्यसभा पहुंचना तय है. इस बार बीजेपी के राज्यसभा उम्मीदवार के तौर पर कुछ नए चेहरों पर भी मुहर लग सकती है, तो वहीं कुछ पुराने चहरों का पत्ता भी कट सकता है. तो आइए एक नजर डालते हैं बीजेपी किन नए चेहरों को राज्यसभा भेज सकती है और किन पुराने चेहरों को टिकट कट सकता है.


जानिए कांग्रेस की क्या है स्थिति
15 राज्यों की 57 सीटों पर होने वाले राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस को 57 में से 11 सीटें मिलने की संभावना है. अगर कांग्रेस को 11 सीटें मिल जाती हैं तो इससे सदन में पार्टी के सीटों की संख्या 29 से बढ़कर 33 तक पहुंच जाएगी. वहीं मध्य प्रदेश, कर्नाटक, हरियाणा और तमिलनाडु से कांग्रेस को एक- एक सीट मिल सकती है. अगर बात करें राजस्थान और छत्तीसगढ़ तो दोनों राज्यों से कांग्रेस को दो-दो सीटें मिलनी तय है. तमिलनाडु में अगर डीएमके कांग्रेस का साथ दे देती है तो यहां से भी एक सीट कांग्रेस को मिल सकती है. यहां गठबंधन के साथ कांग्रेस सत्ता में है और पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम अपने गृहराज्य से राज्यसभा पहुंचने की कोशिश में हैं.  


ऐसे निर्धारित होती है राज्यसभा की सीटें 
राज्यसभा में कुल सदस्यों की संख्या 250 होती है, इसमें से 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत किए जाते हैं और बाकी बचे 238 सीटों पर चुनाव होता है. इस चुनाव में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि वोट करते हैं. राज्यसभा सांसद के लिए अलग-अलग प्रदेशों में सीटों का बंटवारा होता है. राज्यों की सीटों की संख्या उनकी आबादी के मुताबिक तय किया जाता है. जिस राज्य की जनसंख्या जितनी ज्यादा होगी उस राज्य को उतनी ही ज्यादा राज्यसभा सीटें मिलती है. उत्तर प्रदेश को इसीलिए सबसे ज्यादा 31 राज्यसभा सीटें मिली हैं.


जानिए कैसे होता है राज्यसभा सांसद का चुनाव?
राज्यसभा सासंद का चुनाव देश के अलग-अलग प्रदेशों और केंद्र शासित राज्यों से चुने गए विधायक करते हैं. एक विधायक एक बार में एक ही उम्मीदवार को वोट कर सकते हैं. कुछ विशेष परिस्थितियों में ये वोट ट्रांसफर भी किया जा सकता है हालांकि पहले से ही वोट करने वाले विधायक से ये ऑप्शन ले लिया जाता है कि अगर वोट ट्रांसफर करना पड़ा तो किसे करेंगे. जिसे विधायक वोट कर रहा है वो अगर जीत चुका होगा तो ये वोट अगले उम्मीदवार के लिए ट्रांसफर हो जाएगा जिसके लिए पहले से ही ये डील तय हो जाती है. दूसरी स्थिति ये होती है कि आप जिसे वोट कर रहे हों उसके जीतने की उम्मीद ही ना हो ऐसी स्थिति में भी विधायक का वोट ट्रांसफर किया जा सकता है. वोटिंग से पहले ही विधायक एक से लेकर चार तक प्राथमिकता नंबर लिख दिया जाता है, जिसे गिनती करते समय जोड़ लिया जाता है.


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