भारतीय किसान सभा ने बुधवार को कहा कि सरकार मोर्चे में फूट डालने की कोशिश कर रही है. भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्नान मोल्लाह ने कहा कि सरकार किसान नेताओं को व्यक्तिगत फोन कर फूट डालने की कोशिश कर रही है. उन्होंने कहा, संयुक्त किसान मोर्चा के कुछ सदस्य किसान नेताओं ने मोर्चा की बैठक में बताया है कि सरकार की ओर से उन्हें व्यक्तिगत तौर पर फोन किया जा रहा है. यानी सरकार संयुक्त किसान मोर्चा से तो बात करने को तैयार नहीं है लेकिन व्यक्तिगत फोन कर के मोर्चे में फूट डालने की कोशिश की जा रही है. 


डिवाइड एंड रूल की इस सरकारी नीति के कारण हम बेहद चिंतित हैं. हम चाहते हैं कि हमारी एकता बनी रहे और हम इस चुनौती का सामना करेंगे. ऑल इंडिया किसान सभा के नेताओं के पास भी सरकार की ओर से व्यक्तिगत फोन आए हैं. उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन खत्म हो सकता है अगर...


1. आंदोलन के 687 शहीद किसानों के परिजनों को मुआवज़ा मिले.
2. आंदोलन से संबंधित सभी मुकदमों को वापस लिया जाए.
3. आंदोलन वापस होने के बाद 'एमएसपी क़ानून' बनाने पर चर्चा की लिखित गारंटी दी जाए.


उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन में कुल 687 किसान मारे गए हैं. लेकिन कृषि मंत्री ने कहा कि उनके पास कोई रेकॉर्ड नहीं है इसलिए उनके परिवार वालों को मुआवजा नहीं दे सकते. हम इसकी निंदा करते हैं. अगर कृषि मंत्री किसानों के मरने का आंकड़ा नहीं जानते तो उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए और जंगल में चले जाना चाहिए जहां सूचनाएं नहीं होतीं. 


वहीं ऑल इंडिया किसान सभा के राष्ट्रीय वित्त सचिव पी कृष्ण प्रसाद ने कहा,  ये आंदोलन अभी और बड़ा होगा. मोदी जी ने 2014 में गांव-गांव जाकर किसानों से कहा था कि एमएसपी आपका हक है इसलिए किसान एमएसपी को लेकर जागरुक हो पाया है. इसके लिए हम पीएम मोदी का शुक्रिया अदा करते हैं.    


ये भी पढ़ें


CM ममता से मुलाकात के बाद 2024 में नेतृत्व और कांग्रेस को लेकर क्या कुछ बोले शरद पवार? जानें


Mamata Banerjee के बयान KC Venugopal का तंज, कहा- Congress के बिना BJP को हराने का सोचना सिर्फ सपना