कृषि सुधार संबंधी कानूनों के विरोध में दिल्ली सीमाओं पर हजारों की तादाद में बैठे आंदोलनकारी किसानों का गुरुवार को 71वां दिन है. वे इन तीनों कानूनी की वापसी की मांगों के साथ ही एमएसपी को कानून का हिस्सा बनाने की मांग को लेकर अड़े हुए हैं. इधर, भारतीय भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता धर्मेंद्र मलिक ने चार मुद्दों पर किसानों का पक्ष गुरुवार को स्पष्ट किया है.


उन्होंने कहा अमेरिका तीनों किसान क़ानूनों की तारीफ़ इसलिए कर रहा है क्योंकि उसका हित इन क़ानूनों से ही सधेगा. ख़ुद अमेरिका में इन क़ानूनों को चालीस साल से लागू किया गया है जिससे वहाँ का फ़ार्म किसान ख़त्म हो गया. वहाँ अब सिर्फ़ एग्री बिज़नेस होता है.


उन्होंने आगे ग्रेटा धन्यवाद करते हुए कहा कि वो बच्ची अपने आंदोलनों में रुचि के कारण सुर्ख़ियों में आई और पर्यावरण के क्षेत्र में अच्छा काम किया लेकिन हमारा आंदोलन अपने तरीक़े से चलता है उसके लिए हमें किसी बाहरी सुझाव की ज़रूरत नहीं है.


धर्मेन्द्र मलिक ने कहा कि प्रधानमंत्री ने किसानों को लेकर जो कुछ भी कहा है उसके बरक्स महाराष्ट्र में जिस तरह किसानों के प्याज़ की ख़रीद नहीं हुई और सड़ गई उसका ज़िम्मेदार तो सरकार ही है. किसानों की मुख्य मांगे न मानकर अपनी सरकार की तारीफ़ में बोलने के बहुत से बिंदु निकाले जा सकते है.


उन्होंने आगे बताया कि जींद में राकेश टिकैत ने यह नहीं कहा है कि सिर्फ़ पीएम मोदी या गृह मंत्री अमित शाह से बात करेंगे. ये ग़लत समझा गया है. बल्कि टिकैत ने कहा है कि बातचीत का न तो मंच बदलेगा और न पंच बदलेंगे. यानी दोनों ओर से जो लोग बात कर रहे थे वही करेंगे. सरकार की ओर से कौन रहेगा ये सरकार ही तय करे. उन्होंने कहा कि हमनें फिर से कहा है कि तीनों क़ानून वापस हों. एमएसपी पर क़ानून बने. किसानों का क़र्ज़ा माफ़ हो. आंदोलन के दौरान किसानों के मुक़दमों को हटाया जाया.