नई दिल्ली: दिल्ली में आयोजित 'भविष्य का भारत' कार्यक्रम के दौरान संघ और इसके प्रमुख मोहन भागवत ने कई सवालों के जवाब और बड़े बयान दिए. तीन दिनों के इस कार्यक्रम के दौरान पहली बार संघ ने ऐसी कई बातें कहीं जो इस संगठन की छवि के साथ मेल नहीं खातीं. इनमें कांग्रेस की तारीफ, हिंदू राष्ट्र में मुसलमानों के होनी बात, समलैंगिकों को लेकर सोच बदलने की वकालत और गोलवलकर की बंच ऑफ थॉट्स से दूरी पर दिए गए बयानों ने आरएसएस की छवि को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है. नीचे आप पढ़ सकते हैं वो प्रमुख बातें जो दिन दिनों के इस कार्यक्रम में कही गई हैं.




  • जहां राम की जन्मभूमि थी, जहां उनका जन्म हुआ वहां उनका मंदिर होना चाहिये. यदि यह हो गया तो हिंदू और मुस्लिम के बीच झगड़े का एक बड़ा कारण समाप्त हो जायेगा और यह सद्भावना से हो गया तो मुस्लिमों की ओर उठने वाली उंगलियों में बहुत कमी आ जायेगी.

  • हिंदू राष्ट्र का मतलब यह नहीं है कि इसमें मुस्लिम नहीं रहेगा, जिस दिन ऐसा कहा जायेगा उस दिन वो हिंदुत्व नहीं रहेगा, हिंदुत्व तो विश्व कुटुंब की बात करता है.

  • आरएसएस सामाजिक अन्याय को मिटाने के लिए संविधान द्वारा दिए गए आरक्षण का समर्थन करता है. आरक्षण जारी रहे या नहीं, इसका फैसला उन्हें करना है जिन्हें ये दिया गया है. जब उन्हें लगेगा कि इसकी दरकार नहीं है, वो इस पर फैसला ले लेंगे.

  • कांग्रेस की तारीफ करते हुए भागवत ने कहा कि कांग्रेस आजादी की लड़ाई में लोगों को जागरुक करने के लिए बनी थी लेकिन आज हालात कुछ और हैं. भागवत ने कहा कि कांग्रेस के रूप में देश की स्वतंत्रता के लिये सारे देश में एक आंदोलन खड़ा हुआ, जिसमें अनेक सर्वस्वत्यागी महापुरूषों की प्रेरणा आज भी लोगों के जीवन को प्रेरित करती है.

  • समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर किए जाने के बाद हमें समय के साथ अपनी सोच बदलने की ज़रूरत है. समाज में हर इंसान बराबर का हिस्सेदार है.

  • आरएसएस का सरकार के ऊपर कोई नियंत्रण नहीं है और ये नागपुर से नहीं चलती. मोदी का रिमोट नागपुर में नहीं है. हमने आज तक किसी राजनीतिक पार्टी का समर्थन नहीं किया है. हमसे जो भी ऑर्गेनाइजेशन सेकेरेट्री की मांग करता है, उसे हम ये मुहैया कराते हैं. अगर अन्य पार्टियां भी हमसे इसकी मांग करती हैं तो हम उन्हें भी ऑर्गेनाइजेशन सेकेरेट्री देंगे.

  • भागवत ने कहा, ''संघ हमेशा तिरंगे का सम्मान करता है, स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी हर निशानियों से प्रत्येक स्वयंसेवक दिल से जुड़ा है लेकिन भगवा ध्वज को हम अपना गुरु मानते हैं. हर साल इसी ध्वज के सामने हमलोग गुरु दक्षिणा कार्यक्रम आयोजित करते हैं.'' उन्होंने ये भी कहा कि हम इस देश में संघ के दबदबे की मंशा नहीं रखते.

  • नोटा का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए. अगर आप सबसे अच्छे विकल्प का चुनाव नहीं करते तो सबसे बुरा विकल्प ताकतवर बनता है. ये बयान एससी-एसटी एक्ट में किए गए संसोधन के खिलाफ नोटा के इस्तेमाल को लेकर कही गई बात से जुड़ी है.

  • आर्टिकल 370 को समाप्त किया जाना चाहिए.

  • जहां तक बंच ऑफ थॉट्स की बात है, बातें समय और परिस्तिथियों के मुताबिक लिखी जाती है. समय, परिस्तिथियां बदलती हैं और बदलने की परमिशन हमने हेडगेवार जी से ले ली है.

  • अच्छी गौशालायें चलाने वाले, भक्ति से चलाने वाले लोग हमारे यहां हैं. मुस्लिम भी इसमे शामिल हैं. गोसंवर्धन का विचार होना चाहिये, गाय के जितने उपयोग हैं उनको कैसे लागू किये जाए, कैसे तकनीक का उपयोग कर उसको घर-घर पहुंचाया जाए, इस पर बहुत लोग काम कर रहे हैं. वो गोरक्षा की बात करते हैं, वो लिंचिंग करने वाले नहीं हैं. वो सात्विक प्रकृति के लोग हैं.

  • महिलायें को सुरक्षा के लिये सजग और सक्षम बनाना पड़ेगा, इसलिये किशोर आयु के लड़के और लड़कियों का प्रशिक्षण करना होगा, महिला असुरक्षित तब होती है जब पुरुष उसे देखने की अपनी दृष्टि को बदलता है.

  • भारत की सभी भाषाएं हमारी भाषा है, ऐसा मन होना चाहिये. जहां रहते हैं वहां की भाषा आत्मसात करनी चाहिए, आपकी रुचि और आवश्यक्ता है तो विदेश की भाषा सीखिये और उसमें भी विदेशी लोगों से ज्यादा प्रवीण बनिये. इसमें भारत का गौरव है. हिंदी में काम करना पड़ता है इसलिये अन्य प्रांतों के लोग हिंदी सीखते हैं, हिंदी बोलने वालों को भी दूसरे प्रांत की एक भाषा को सीखनी चाहिए, इससे मन मिलाप जल्दी होगा, और यह कार्य जल्दी हो जायेगा.

  • हिंदुत्व को हिन्दुज़्म नहीं कहा जा सकता, क्योंकि इज़्म का मतलब ‘बंद’ है. राधामोहन जी का एक कोड है उसका एक हिस्सा ही बता सकता हूं. हिदुत्व ही तालमेल का आधार बन सकता है. कुछ लोग जानते हैं और कुछ लोग गर्व से कहते हैं. कुछ लोग किसी कारणवश इसे स्वीकार नहीं करते हैं. भारत में इतनी विविधता है कि कई बार एक दूसरों के विरोधी भी लगते हैं. भारत में परायापन नहीं है, ये हमने पैदा किया है.


विभिन्न क्षेत्रों की हस्तियों का जमावड़ा लगा
RSS के सम्मेलन में बॉलीवुड का भी जमावड़ा लगा. नवाजुद्दीन सिद्दिकी, रवि किशन, मधुर भंडारकर, मनीषा कोइराला और अन्नू कपूर जैसी हस्तिया भी दिल्ली पहुंची हैं. संघ के एक पदाधिकारी ने बताया था कि विभिन्न मुद्दों पर संघ के दृष्टिकोण को बताने और उसके कामकाज और विचारधारा के बारे में गलत धारणाओं को मिटाने के लिए यह अपनी तरह का पहला कार्यक्रम है. इसलिए यह महसूस किया गया कि इसमें सभी वर्गों के लोगों को आमंत्रित करना चाहिए. इस कार्यक्रम में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को भी बुलाए जाने की चर्चा थी जिसे बाद में कांग्रेस ने खारिज कर दिया.