CAA-NPR-NRC के खिलाफ SC पहुंचे भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद, दाखिल की याचिका
चंद्रशेखर आजाद के अलावा वजाहत हबीबुल्लाह और स्वामी अग्निवेश ने भी याचिका दाखिल की हैचंद्रशेखर आजाद की तरफ से याचिका कल मंगलवार को दाखिल की गई थीहालांकि आज सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई की लिस्ट में ये नहीं थी
नई दिल्ली: भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर, स्वामी अग्निवेश और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष वजाहत हबीबुल्लाह ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (एनआरसी) को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. ये याचिका कल दाखिल हुई थी हालांकि, आज सुनवाई की लिस्ट में नहीं थी. चंद्रशेखर आजाद आज शाहीन बाग में हो रहे विरोध प्रदर्शन में शामिल होंगे. शाहीन बाग में एक महीने से ज्यादा समय से नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन जारी है.
गौरतलब है कि आज सुप्रीम कोर्ट में सीएए को लेकर दायर की गई 144 याचिकाओं पर सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में फिलहाल नागरिकता संशोधन कानून पर रोक लगाने से इंकार किया और साथ ही सभी याचिकाओं पर जवाब देने के लिए केंद्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए चार हफ्ते का वक्त दिया है.
Bhim Army Chief Chandrashekhar Azad, Swami Agnivesh and Wajahat Habibullah, former Chairperson of the National Minority Commission have filed a petition in the Supreme Court against the Citizenship (Amendment) Act, National Register of Citizens and National Population Register. pic.twitter.com/WpsgCI4FjV
— ANI (@ANI) January 22, 2020
कोर्ट ने कहा कि सीएए और एनपीआर पर रोक लगाने के मुद्दे पर केंद्र का पक्ष सुने बगैर एक पक्षीय आदेश नहीं दिया जाएगा. कपिल सिब्बल ने कहा, "हम कानून पर रोक की मांग नहीं कर रहे हैं. लेकिन फिलहाल इसके अमल को स्थगित कर दिया जाए."
इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि असम और त्रिपुरा से संबंधित याचिकाओं पर अलग से विचार किया जाएगा. सीएए में अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से 31 दिसंबर, 2014 तक देश में आये हिन्दू, सिख, बौद्ध, ईसाई, जैन और पारसी समुदाय के लोगों को भारत की नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान किया गया है. सीएए के खिलाफ दायर की गई याचिकाओं में ये भी दलील दी गयी कि यह कानून संविधान के बुनियादी ढांचे के खिलाफ है और यह मुसलमानों के साथ भेदभाव करने वाला है.
कोर्ट ने जहां सरकार को जवाब के लिए चार हफ्ते का समय दिया, वहीं याचिकाकर्ताओं को भी सरकार के हलफनामे का जवाब देने के लिए एक हफ्ता दिया. बता दें कि अब इस मामले की सुनवाई किसी भी हाई कोर्ट में नहीं होगी.