नई दिल्ली: भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद को गुरुवार को कोर्ट ने जमानत दे दी. ये जमानत कोर्ट ने कुछ शर्तों पर दी है. अब चंद्रशेखर आजाद ने जमानत की शर्तों में बदलाव की मांग को लेकर दिल्ली की कोर्ट का रुख किया है. इसपर कल यानी शनिवार को सुनवाई हो सकती है. जमानत पर बाहर आने के बाद चंद्रशेखर आज दिल्ली के जामा मस्जिद पहुंचे.


कोर्ट ने क्या कहा था?


दरअसल, गुरुवार को दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने दरियागंज हिंसा मामले में चंद्रशेखर को जमानत दी थी. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा था कि वह चार हफ्तों तक दिल्ली नहीं आ सकेंगे और चुनावों तक कोई धरना आयोजित नहीं करेंगे.





चंद्रशेखर आजाद की प्रेस कॉन्फ्रेंस


उधर आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए चंद्रशेखर आजाद ने कहा, ''मैं 20 दिसंबर को जामा मस्जिद गया था. सीएए, एनआरसी और एनपीआर का विरोध करने के लिए. क्योंकि वहां कभी मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने बंटवारे के समय मुसलमानों से बंटवारे के खिलाफ अपील की थी. इसीलिए आज जब सरकार दोबारा धार्मिक बंटवारे की तैयारी कर रही है तब मुझे जामा मस्जिद जाना जरूरी लगा.'' उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री और गृह मंत्री रैलियों में कह रहे थे कि सड़क पर जो आंदोलन कर रहे हैं उनके कपड़े देख कर उनका धर्म पता चल रहा है. इसलिए मुझे भी इस आंदोलन में शामिल होना पड़ा.


संविधान को कमजोर करने वाले कानून बना रही सरकार- चंद्रशेखर आजाद


इसके साथ ही उन्होंने कहा, ''संविधान का पार्ट 4A, आर्टिकल 51A ये कहता है कि संविधान की रक्षा करना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है. अगर वो ऐसा नहीं कर रहा है तो वो गुनाह कर रहा है. 51E ये कहता है कि जन्म,धर्म, लिंग, समुदाय, स्थान के आधार पर भेदभाव भी संविधान को कमजोर करता है. सरकार लगातार ऐसे क़ानून बना रही है जो संविधान को कमजोर कर रहे हैं. मुझ पर आरोप लगा कि मैंने भड़काऊ भाषण दिया. जबकि मैंने सिर्फ़ संविधान की प्रस्तावना पढ़ी थी. कोर्ट ने कहा है कि मैं माननीय मोदी जी का सम्मान करूं तो मैं उनके नाम के आगे दो बार श्री लगाता हूं. चाहता हूं कि वो भी संविधान का सम्मान करें. उसे ताक पर रख कर बार बार फैसले न लें.''