चैत्य भूमि जा रहे भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद को मुंबई पुलिस ने हिरासत में लिया
भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने ट्वीट कर कहा कि महाराष्ट्र राष्ट्रपिता फुले, शाहू जी महाराज की भूमि है. बाबा साहेब ने इसी भूमि से हमें अपने अधिकारों के लिए लड़ना सिखाया, आज पहली बार इस भूमि के दर्शन को आया तो चैत्य भूमि के गेट से मुझे गिरफ्तार कर लिया गया.
मुंबई: भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद को मुंबई पुलिस ने हिरासत में ले लिया है. आजाद दादर के चैत्य भूमि जा रहे थे. चैत्य भूमि मुंबई के दादर स्थित डॉ भीमराव आंबेडकर की समाधि स्थली और बौद्ध धर्म के लोगों का आस्था का केंद्र है. भीम आर्मी प्रमुख ने ट्वीट कर कहा, ''महाराष्ट्र राष्ट्रपिता फुले, शाहू जी महाराज की भूमि है. बाबा साहेब ने इसी भूमि से हमें अपने अधिकारों के लिए लड़ना सिखाया, आज पहली बार इस भूमि के दर्शन को आया तो चैत्य भूमि के गेट से मुझे गिरफ्तार कर लिया गया. क्या महाराष्ट्र का बहुजन समाज इस अपमान को बर्दाश्त करेगा??''
महाराष्ट्र राष्ट्रपिता फुले,शाहू जी महाराज की भूमि है बाबा साहेब ने इसी भूमि से हमे अपने अधिकारों के लिए लड़ना सिखाया,आज पहली बार इस भूमि के दर्शन को आया तो चैत्य भूमि के गेट से मुझे गिरफ्तार कर लिया गया। क्या महाराष्ट्र का बहुजन समाज इस अपमान को बर्दाश्त करेगा??
— Chandra Shekhar Aazad (@BhimArmyChief) December 28, 2018
उन्होंने इससे पहले एक अन्य ट्वीट में कहा था, ''हमारी पवित्र भूमि चैत्य भूमि के गेट से पुलिस ने गिरफ्तार करके बेशर्मी की सारी हदें पार कर दी है. शुरुआत फडणवीस सरकार ने की है. लेकिन इनका अंत मैं करूंगा, हमारी भीम आर्मी की स्टेट टीम को पुलिस ने नहीं छोड़ा है. जब तक उन्हें रिहा नहीं किया जाता तब तक मैं महाराष्ट्र छोड़ने वाले नहीं हूं.''
आपको बता दें कि एक बार फिर भीमा-कोरेगांव और आसपास के इलाकों में अलर्ट है. एक जनवरी, 2018 को पुणे के पास स्थित कोरेगांव-भीमा में भड़की जातीय हिंसा मामले को एक साल होने को है. महाराष्ट्र के लिए साल की शुरूआत हिंसा से हुई थी और अगले कुछ महीने तक यह मामला कुछ ना कुछ कारणों से लगातार चर्चा में बना रहा. भीमा-कोरेगांव संघर्ष की 200वीं वर्षगांठ के पहले तनाव व्याप्त हो गया था क्योंकि कुछ दक्षिणपंथी संगठनों ने आयोजन का विरोध किया था .
पुणे से 40 किलोमीटर दूर कोरेगांव-भीमा में जय स्तंभ पर हर साल दलित समुदाय के लोग इकट्ठा होते हैं. लेकिन इस बार हिंसा भड़कने पर भीड़ ने वाहनों में आग लगा दी और दुकानों-मकानों में तोड़फोड़ की थी. पुणे के पूर्व शासक पेशवा और ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच 1818 में लड़ाई हुई थी. कोरेगांव-भीमा संघर्ष की एक और वर्षगांठ नजदीक होने के साथ पुणे पुलिस इस बार पूरी चौकसी बरत रही है ताकि कोई अप्रिय घटना ना हो.