नई दिल्ली: हाई कोर्ट ने कोरेगांव-भीमा हिंसा मामले की जांच के सिलसिले में गिरफ्तार पांच कार्यकर्ताओं की तत्काल रिहाई के लिए इतिहासकार रोमिला थापर और दूसरों की याचिका पर गुरूवार को सुनवाई पूरी कर ली. इस मामले में कोर्ट फैसला बाद में सुनायेगा. याचिका में कार्यकर्ताओं की रिहाई के साथ-साथ गिरफ्तारी के मामले की विशेष जांच टीम (एसआईटी) से जांच कराने की बात कही गई है.


चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ की पीठ ने इस मामले में याचिकाकर्ताओं, प्राथमिकी दर्ज कराने वाले शिकायतकर्ता और महाराष्ट्र सरकार की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी, हरीश साल्वे और अतिरिक्त सालिसीटर जनरल तुषार मेहता की दलीलें सुनने के बाद कहा कि इस पर फैसला बाद में सुनाया जायेगा.


कोर्ट ने पुलिस को दिया केश डायरी पेश करने का निर्देश
पीठ ने महाराष्ट्र पुलिस को कोरेगांव-भीमा हिंसा मामले की जांच से संबंधित केस डायरी पेश करने का निर्देश दिया, जबकि उसने संबंधित पक्षों को 24 सितंबर तक अपने लिखित कथन दाखिल करने का निर्देश दिया है.


महाराष्ट्र पुलिस ने पिछले साल 31 दिसंबर को ऐलगार परिषद के सम्मेलन के बाद कोरेगांव-भीमा गांव में हिंसा के मामले में दर्ज एफआईआर की जांच के सिलसिले में कई स्थानों पर छापे मारे थे और 28 अगस्त को पांच कार्यकर्ताओं वरवरा राव, अरूण फरेरा, वर्नेन गोन्साल्विज, सुधा भारद्वाज और गौतम नवलखा को गिरफ्तार किया था.


घर में ही नजरबंद हैं सभी कार्यकर्ता
इतिहासकार रोमिला थापर, अर्थशास्त्री प्रभात पटनायक और देवकी जैन, समाजशास्त्र के प्रफेसर सतीश देशपाण्डे और मानवाधिकार कार्यकर्ता माजा दारूवाला ने शीर्ष अदालत में याचिका दायर कर इन मानवाधिकार और नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं की तत्काल रिहाई और उनकी गिरफ्तारी की स्वतंत्र जांच कराने का अनुरोध किया था. कोर्ट ने 29 अगस्त को इन सभी कार्यकर्ताओं को उनके घरों में ही नजरबंद रखने का आदेश दिया था. इसके बाद से वे घरों में ही नजरबंद हैं.