(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
भीमा कोरेगांव हिंसा: क्या अब सामाजिक कार्यकर्ताओं के खिलाफ दर्ज केस वापस लेगी उद्धव सरकार? NCP के नेताओं ने बढ़ाया दबाव
एनसीपी के वरिष्ठ नेता धनंजय मुंडे और प्रकाश गजभिये ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में सामाजिक कार्यकर्ताओं के खिलाफ दर्ज केस वापस लेने की मांग की है.
मुंबई: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के दो विधायकों ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में दर्ज केस वापस लेने की वकालत की है. एनसीपी के वरिष्ठ नेता धनंजय मुंडे और प्रकाश गजभिये ने पत्र में कहा है कि भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में सामाजिक कार्यकर्ताओं और प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दर्ज केस वापस लिए जाएं.
हिंसा के मामले में महाराष्ट्र पुलिस ने सामाजिक कार्यकर्ता व लेखक गौतम नवलखा, वरवर राव, अरुण फरेरा, वरनोन गोंजाल्विस, आनंद तेलतुंबडे और सुधा भारद्वाज को 'शहरी नक्सली' बताकर उनके खिलाफ 1 जनवरी, 2018 को मामला दर्ज किया था.
पुलिस ने इन लोगों के खिलाफ नक्सलियों से कथित संपर्क और भीमा-कोरेगांव में हुई हिंसापूर्ण घटना में संलिप्तता के आरोप में एफआईआर दर्ज किया था. हालांकि सभी इससे इनकार करते रहे हैं. विपक्षी पार्टियों का कहना है कि राजनीतिक लाभ के लिए सभी को फंसाया गया.
अंग्रेजों और मराठों के बीच हुए तीसरे ऐतिहासिक संग्राम की बरसी की याद में होने वाले समारोह से पहले जनवरी 2018 में हिंसा हुई थी. संग्राम सबल अंग्रेजी सेना के 834 सैनिकों और पेशवा बाजीराव द्वितीय की मजबूत सेना के 28,000 जवानों के बीच हुआ था, जिसमें मराठा सेना पराजित हो गई थी.
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अंग्रेजों की सेना में ज्यादातर दलित महार समुदाय के लोग शामिल थे. अंग्रेजों ने बाद में वहां विजय-स्तंभ बनाया. दलित जातियों के लोग इसे ऊंची जातियों पर अपनी विजय के प्रतीक मानते हैं और यहां नए साल पर एक जनवरी को पिछले 200 साल से सालाना समारोह आयोजित होता है.
लेकिन जनवरी 2018 में हिस्सा लेने पहुंचे करीब 3,00,000 लोगों की भीड़ हिंसात्मक बन गई, जिसमें एक की मौत हो गई. इसके बाद तीन जनवरी को महाराष्ट्र बंद रहा और इस घटना के बाद एक बड़ी जातीय और विचारधारा की राजनीति की हलचलें तेज हो गईं. बाद में पुलिस ने छापेमारी कर मानवाधिकार, नागरिक अधिकार और सिविल सोसायटी के कार्यकर्ताओं को दबोचा.
पुलिस की यह कार्रवाई कोरेगांव-भीमा की 200वीं बरसी से एक दिन पहले पुणे में 31 दिसंबर 2017 को हुई प्रेस कान्फ्रेंस के सिलसिले में कथित 'शहरी नक्सलियों' की गतिविधियों पर लगाम लगाने के मद्देनजर की गई थी. तब मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस थे. अब महाराष्ट्र में सरकार बदल चुकी है.
कांग्रेस-एनसीपी की सहयोग से उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बन चुके हैं. दोनों ही पार्टी भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाती रही है.