SC के चीफ जस्टिस की बेंच में भेजा गया भोजशाला विवाद मामला, हाई कोर्ट के आदेश पर हो चुका है परिसर का सर्वे
भोजशाला बनाम कमल मस्जिद विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार (2 जनवरी) को सुनवाई हुई. जस्टिस ऋषिकेश रॉय की अध्यक्षता वाली बेंच ने मामले को चीफ जस्टिस के पास भेजने का निर्णय लिया.
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MP Bhojshala Case: मध्य प्रदेश के धार के भोजशाला बनाम कमल मस्ज़िद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस ऋषिकेश रॉय की अध्यक्षता वाली बेंच ने मामला चीफ जस्टिस के पास भेज दिया. बेंच ने कहा- "प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट को लेकर चीफ जस्टिस के आदेश के मद्देनजर हम कोई आदेश नहीं देंगे. सभी सवाल वहीं रखे जाएं."
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने 11 मार्च को ASI सर्वे का आदेश दिया था. मौलाना कमालुद्दीन वेलफेयर सोसाइटी ने इस आदेश को चुनौती देते हुए याचिका दाखिल की है. अप्रैल में हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने परिसर के ASI सर्वे पर रोक से मना किया था, लेकिन कोर्ट ने कहा था कि उसकी अनुमति के बिना सर्वे की रिपोर्ट के आधार पर कोई कार्रवाई न की जाए. कोर्ट ने यह भी कहा था कि सर्वे के दौरान परिसर में खोदाई का काम न किया जाए.
भोजशाला मामले पर सुनवाई
ध्यान रहे कि 12 दिसंबर को चीफ जस्टिस संजीव खन्ना के अध्यक्षता वाले बेंच ने देश भर में सभी धार्मिक स्थलों के सर्वे पर अंतरिम रोक लगा दी थी. भोजशाला मामले पर गुरुवार को हुई सुनवाई की शुरुआत में ही जस्टिस रॉय की अध्यक्षता वाली बेंच ने साफ कर दिया कि वह मामले में कोई आदेश नहीं देना चाहती.
हिंदू पक्ष के वकील ने क्या कहा?
हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि यह एक ASI संरक्षित स्मारक का मामला है. यहां प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट लागू नहीं होता. इस पर जस्टिस रॉय ने कहा कि मुस्लिम पक्ष ने परिसर में खोदाई का आरोप लगाते हुए अवमानना याचिका दाखिल की है. अगर हिंदू पक्ष इसी बेंच में सुनवाई पर ज़ोर देगा तो हम अवमानना याचिका पर नोटिस जारी करेंगे. इस पर विष्णु शंकर जैन ने मामला चीफ जस्टिस के पास भेजने पर सहमति जता दी.
एडिशनल सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज ने सुझाव दिया कि इस मामले में प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट के लागू होने या न होने को लेकर जो विवाद है, उसे भी चीफ जस्टिस के सामने पक्षकारों को रखने की अनुमति दी जाए. इस पर जस्टिस रॉय ने कहा कि हिंदू पक्ष चाहे तो ऐसा कर सकता है.
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