वाराणसी:  बीएचयू मामले में जमकर किरकिरी कराने के बाद भी काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने लड़कियों के प्रदर्शन पर सवाल उठाते हुए कहा है कि क्या एक लड़की की अस्मिता को लड़कियों ने बाज़ार में नहीं रख दिया. बुधवार शाम को वीसी त्रिपाठी ने त्रिवेणी हॉस्टल में जाकर छात्राओं से मुलाकात की थी.


कुलपति गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने लड़कियों के प्रदर्शन पर सवाल उठाते हुए कहा, "क्या एक लड़की की अस्मिता को लड़कियों ने बाज़ार में नहीं रख दिया?" लड़कियों से बातचीत में गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने दावा किया कि वो उनसे मिलने आये थे तब उनके सामने ही लड़कियों ने कहा कि आप झूठ बोल रहे हैं.


रोयाना सिंह बनीं बीएचयू की नई चीफ प्रॉक्टर


वीसी गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने लड़कियों के सामने ये भी जताने की कोशिश की कि लड़कियों पर लाठीचार्ज हुआ ही नहीं, जबकि तमाम वीडियोज़ में लाठीचार्ज होते दिख रहा है. इस मामले में छेड़खानी करने वाले का अबतक पता नहीं चला और वीसी ये कह रहे हैं कि पीड़िता का प्रदर्शन करना उसकी अस्मिता को बाज़ार में ले जाना है.


बीएचयू में बवाल के बाद से लगातार कुलपति गिरीश चंद्र त्रिपाठी के इस्तीफे की मांग हो रही है. वहीं, इस मामले के करीब तीन दिनों बाद विश्वविद्यालय के चीफ प्रॉक्टर ओएन सिंह ने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. विश्वविद्यालय ने उनका इस्तीफा मंजूर भी कर लिया है.


बता दें कि वाराणसी के कमिश्नर नितिन रमेश गोकर्ण ने अपनी रिपोर्ट में पूरे मामले के लिए यूनिवर्सिटी प्रशासन को दोषी ठहराया है. कमिश्नर की रिपोर्ट के मुताबिक छात्राओं की मांगें जायज थीं. कोई प्रशासनिक अधिकारी अगर मौके पर पहुंचता तो हिंसा नहीं होती. रिपोर्ट में लाठीचार्ज के लिए प्रॉक्टोरियल बोर्ड के सुरक्षाकर्मियों को जिम्मेदार ठहराया है.


क्या हुआ था बीएचयू में?


बीएचयू में विवाद छात्राओं की सुरक्षा को लेकर ही तब शुरू हुआ जब 21 सितंबर को फाइन आर्ट्स की एक छात्रा से कैंपस में छेड़छाड़ हुई. छात्रा की शिकायत के बावजूद आरोपियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.


विरोध में 22 सितंबर को छात्राओं ने विश्वविद्यालय में धऱना शुरू कर दिया. 23 सितंबर को कुलपति आवास का घेराव करने जा रही छात्राओं पर पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया. छात्राओं पर लाठीचार्ज से हो रही किरकिरी से बचने कि लिए विश्वविद्यालय हर रोज नई दलील दे रहा है.