Chattisgarh Politics: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और असन्तुष्ट चल रहे मंत्री टीएसी सिंह देव मंगलवार सुबह दिल्ली में कांग्रेस नेता राहुल गांधी से मिलेंगे. छत्तीसगढ़ में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर बघेल और टीएस सिंह के बीच कुछ समय से खिंचतान चल रही है. इस लिहाज से राहुल गांधी के साथ होने वाली बैठक बेहद महत्वपूर्ण है. बैठक में प्रभारी पीएल पुनिया भी मौजूद रहेंगे.
कयासों का बाजार गर्म है कि क्या कांग्रेस ढाई साल बाद छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री बदलने जा रही है? कांग्रेस ने कभी भी छत्तीसगढ़ में ढाई-ढाई साल के फार्मूले की बात नहीं कही, लेकिन टीएस सिंह देव के लोग शुरू से अंदरखाने यह दावा करते रहे कि उन्हें आखिरी ढाई सालों में मुख्यमंत्री बनाने का वादा किया गया था. ढाई साल हो चुके हैं और टीएस नाराज भी हैं. ऐसे में मंगलवार सुबह राहुल गांधी से बघेल और टीएस की होने वाली मुलाकात के बाद उम्मीद जताई जा रही है कि नेतृत्व परिवर्तन होने या ना होने को लेकर संस्पेंस खत्म हो सकता है.
ढाई साल बाद मुख्यमंत्री ना बनाए जाने से असन्तुष्ट टीएस सिंह देव पर बीते दिनों कांग्रेस विधायक बृहस्पति सिंह ने हमला करवाने का आरोप लगाया. इसके बाद से टीएस सिंह देव नाराज चल रहे हैं. पीएल पुनिया ने उन्हें मनाने की कोशिश की लेकिन बात नहीं बनी. सूत्रों के मुताबिक बघेल ने आलाकमान को संदेश दे दिया कि दो महीने से ज्यादा इंतजार नहीं कर सकते और अगर वादा नहीं निभाया गया तो वो सभी पदों से इस्तीफा दे सकते हैं. वहीं बघेल ढाई साल बाद सीएम बदलने की बात को खारिज कर चुके हैं. साफ है कि वो कुर्सी छोड़ने के मूड में नहीं हैं. हालांकि कुछ हफ्तों पहले सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद बघेल ने यह जरूर कहा था कि आलाकमान जो तय करेगा वो वैसा ही करेंगे.
अब मामला राहुल गांधी के दरबार में आ गया है. देखना होगा कि राहुल टीएस को मनाने की कोशिश करते हैं या कथित वादा निभाते हुए उन्हें सीएम की कुर्सी पर बिठाते हैं. कुल मिलाकर राहुल के सामने तीन विकल्प हैं.
1. टीएस सिंह देव को मना लिया जाए और जैसा है वैसा चलता रहे.
2. बघेल सरकार में काम करने को टीएस राजी नहीं होते तो उन्हें केंद्रीय स्तर पर बड़ी जिम्मेदारी दी जाए या फिर प्रदेश अध्यक्ष बना कर संगठन की कमान दे दी जाए.
3. टीएस सिंह देव को मुख्यमंत्री बना कर बघेल को मना कर पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी दी जाए.
सबसे ज्यादा दिलचस्पी तीसरे विकल्प को लेकर है. एक तरफ दिसम्बर 2018 से अब तक भूपेश बघेल ने अपने कामकाज से सबका ध्यान खींचा है. बघेल की पहचान संघर्ष कर अपनी पहचान बनाने वाले ओबीसी नेता के रूप में बनी है और उनकी गिनती युवा नेताओं में होती है. दूसरी तरफ टीएस सिंह देव बुजुर्ग हैं और राज परिवार से हैं. लेकिन उनकी छवि एक अच्छे ईमानदार नेता की है. ढाई साल सीएम बनाए जाने का कथित वादा भी उनके पक्ष में जाता है. इसी वजह से नेतृत्व परिवर्तन की चर्चा हो रही है. राहुल गांधी के लिए फैसला करना आसान नहीं होगा. देखना दिलचस्प होगा कि कौन मानता है टीएस सिंह देव या भूपेश बघेल!
इन सब के बीच कांग्रेस के लिए राहत की बात यह है कि मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर इस खींचतान के बावजूद छत्तीसगढ़ में उसकी सरकार को कोई खतरा नहीं है क्योंकि 90 विधायकों की विधानसभा में उसके 70 विधायक हैं.
सबको चौंकाते हुए कांग्रेस ने दिसम्बर 2018 में हुए विधानसभा प्रचंड बहुमत के साथ जीत दर्ज की थी. तब प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल को मुख्यमंत्री बनाया गया था. चुनाव में टीएस सिंह देव घोषणापत्र समिति के प्रमुख थे. बघेल और टीएस दोनों के समर्थकों का दावा रहा है कि पार्टी को एकतरफा जीत उनके नेता की वजह से मिली.
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