नई दिल्ली: नागरिकता संशोधित कानून और एनआरसी को लेकर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विवादित बयान दिया है. उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि हम सबको मिलकर इन काले अंग्रेजों का सामना करना होगा.


छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि अगर देश में (एनआरसी) लागू होता है तो मैं पहला व्यक्ति होऊंगा जो इस पर साइन नहीं करेगा. उन्होंने कहा कि गांधी जी ने दक्षिण अफ्रिका में अंग्रेजों केखिलाफ आंदोलन शुरू किया था, वैसे ही हम सबको मिलकर 'काले अंग्रेजों' का विरोध करना होगा. इससे पहले भी बघेल बीजेपी के लेकर विवादित बयान दे चुके हैं. उन्होंने कहा था कि बीजेपी धर्म के नाम पर राजनीति कर रही है.


क्या है नागरिकता संशोधन कानून?
 भारत देश का नागरिक कौन है, इसकी परिभाषा के लिए साल 1955 में एक कानून बनाया गया जिसे 'नागरिकता अधिनियम 1955' नाम दिया गया. मोदी सरकार ने इसी कानून में संशोधन किया है जिसे 'नागरिकता संशोधन बिल 2016' नाम दिया गया है. पहले 'नागरिकता अधिनियम 1955' के मुताबिक, वैध दस्तावेज होने पर ही लोगों को 11 साल के बाद भारत की नागरिकता मिल सकती थी.

कानून को लेकर विवाद क्या है?



इस कानून में छह अल्पसंख्यक समुदायों (हिंदू, बौद्ध, जैन, पारसी, ईसाई और सिख) से ताल्लुक रखने वाले लोगों को भारतीय नागरिकता दी जाएगी, लेकिन इसमें मुसलमानों की बात नहीं कही गई है. विरोधियों का कहना है कि यह भारत के मूलभूत संवैधानिक सिद्धांत के विरुद्ध है और यह कानून सलमानों के खिलाफ है. ये भारतीय संविधान के अनुच्छेद-14 जो कि एक मौलिक अधिकार है उसका (समानता का अधिकार) उल्लंघन करता है. सरकार पर आरोप लग रहे हैं कि इस बिल में मुस्लिम धर्म के साथ भेदभाव किया जा रहा है.


दिल्ली में हिंसक प्रदर्शन


देश की राजधानी में पिछले तीन दिन से हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं. पहले जामिया, फिर कल दिन में सीलमपुर और शाम होते होते बृजपुरी में भीड़ हिंसा पर उतारू हो गई. हर जगह लोग नागरिकता कानून के विरोध के नाम पर सड़क पर उतरते हैं और फिर अचानक ये विरोध पत्थरबाजी, आगजनी और तोड़फोड़ में बदल जाता है. कहा जा रहा है कि सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही अफवाहों की वजह से भी विरोध प्रदर्शन हिंसक हो रहा है.


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