रोहतकः हरियाणा में विधानसभा चुनावों से पहले वरिष्ठ कांग्रेस नेता और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री भुपेंद्र सिंह हुड्डा ने एक तरह से पार्टी से अपनी राहें जुदा करने की धमकी देते हुए रविवार को जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 के कुछ प्रावधानों को रद्द किये जाने के मुद्दे पर अपनी पार्टी के रुख की आलोचना की और कहा कि कांग्रेस अपना “रास्ता भटक गई” है और अब पहले जैसी पार्टी नहीं रही.
अपने गृह क्षेत्र में ‘‘महापरिवर्तन रैली’’ को संबोधित करते हुए दो बार मुख्यमंत्री रहे हुड्डा ने घोषणा की कि 25 सदस्यीय समिति उनके गुट की भविष्य की रणनीति के बारे में फैसला करेगी. उनके समर्थकों वाला गुट प्रदेश पार्टी अध्यक्ष अशोक तंवर की जगह उन्हें पार्टी की राज्य इकाई की कमान सौंपे जाने की मांग कर रहा है.
हुड्डा ने मुख्यमंत्री बनने पर कई काम करने के वादे भी किये, जिसे पार्टी के लिये खुली चुनौती के तौर पर देखा जा रहा है क्योंकि उसने राज्य में सर्वोच्च पद के लिये उम्मीदवार का नाम अभी जाहिर नहीं किया है.
रैली में तीखे तेवर दिखाते हुए हुड्डा ने कहा कि वह “खुद को आजाद और सभी तरह के बंधनों से मुक्त” कराने के लिये आए हैं, मन की बात कहेंगे और “राज्य को नुकसान पहुंचाने वाली सांप्रदायिक और विघटनकारी ताकतों” को हराने के लिये लड़ाई को अंजाम तक पहुंचाने की शुरुआत कर रहे हैं.
अनुच्छेद 370 हटाने को हुड्डा ने सही ठहराया
अपने समर्थक विधायकों के अलावा कुछ पूर्व विधायकों और अन्य नेताओं की मौजूदगी में हुड्डा ने कहा, “मैं एक समिति बनाउंगा जिसमें मुझे समर्थन देने वाले 13 मौजूदा विधायक और राज्य के 12 अन्य महत्वपूर्ण नेता होंगे. यह समिति जो तय करेगी, मैं वह करूंगा.”
उन्होंने कहा कि वह अपनी पार्टी के उन नेताओं का समर्थन नहीं करते हैं जो जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को रद्द किये जाने का विरोध करते हैं. हुड्डा ने कहा, “कांग्रेस अपना रास्ता भटक गई है. यह अब पहले वाली कांग्रेस नहीं रही...”
वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ने कहा, “मैं स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार से आता हूं. हमनें राष्ट्रीय हितों से कभी समझौता नहीं किया और नहीं करेंगे. हमनें तब (खट्टर) सरकार का समर्थन किया जब हरियाणा विधानसभा में अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को रद्द किये जाने की प्रशंसा में प्रस्ताव पारित किया गया.”
कांग्रेस पर साधा निशाना
उन्होंने बीजेपी सरकार पर निशाना साधते हुए हालांकि स्पष्ट किया कि जब बीजेपी इस मुद्दे पर राजनीति करती है तो हम उसका समर्थन नहीं करते. बीजेपी इस मुद्दे को उठाना चाहती है लेकिन हमें प्रदेश में बीजेपी सरकार के पिछले पांच सालों के प्रदर्शन को नहीं भूलना चाहिए. उन्होंने कहा कि यह “राज्य को बचाने का आखिरी मौका है.”
वादों कि लगाई झड़ी
हुड्डा ने कहा कि अगर वह मुख्यमंत्री बने तो वृद्धावस्था पेंशन मौजूदा 2000 रुपये से बढ़ाकर पांच हजार रुपये कर देंगे. किसानों का कर्ज माफ करेंगे. गरीबी रेखा से नीचे की श्रेणी की महिलाओं को हर महीने दो हजार रुपये की आर्थिक सहायता देंगे. गरीबी रेखा से नीचे की श्रेणी के परिवारों को 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली मिलेगी और इसके अलावा ऐसे परिवारों को दो रुपये प्रति किलो की दर से गेंहूं और चावल मुहैया कराया जाएगा.
हुड्डा के वफादार और विधायक करन सिंह दलाल ने आरोप लगाया कि कांग्रेस के अंदर ही कुछ लोग हुड्डा का विरोध कर रहे हैं और कहा कि आम आदमी जानना चाहता है कि यह अंदरुनी खींचतान कब तक चलेगी.
दलाल ने कहा, “अगर कांग्रेस लोगोंकी भावना का सम्मान नहीं करती और आपको दायित्व (प्रदेश पार्टी अध्यक्ष) नहीं सौंपती है, तो हुड्डा जी समय आ गया है फिर से विचार करने का. या तो हमें पार्टी बनानी होगा, एक मंच, हमें फैसला लेना होगा क्योंकि लोग हमें माफ नहीं करेंगे.”
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