विवादों के बाद कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से गठित पैनल से हटे भूपिन्दर सिंह मान
81 वर्षीय भूपिन्दर सिंह मान का सुप्रीम कोर्ट की तरफ से गठित पैनल में नाम शामिल किए जाने के बाद किसान संगठनों में भी उनके नाम पर विवाद हो गया था.
केन्द्र सरकार की तरफ से लाए गए तीन कृषि सुधार संबंधी कानूनों के विरोध में किसानों के जारी आंदोलन और लंबे समय से चले आ रहे गतिरोध के बाद सुप्रीम कोर्ट की तरफ से चार सदस्यीय पैनल गठन का ऐलान किया गया था. इस पैनल से पूर्व सांसद और भारतीय कृषि संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष भूपिन्दर सिंह ने खुद को अलग कर लिया है.
81 वर्षीय भूपिन्दर सिंह मान का सुप्रीम कोर्ट की तरफ से गठित पैनल में नाम शामिल किए जाने के बाद किसान संगठनों में भी विवाद हो गया था. एक बयान जारी कर मान ने कहा- "केन्द्र सरकार की तरफ से लाए गए तीन कृषि कानूनों पर किसान संगठनों के साथ बातचीत शुरू करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया की तरफ से मुझे नॉमिनेट करने के लिए मैं उनका आभार व्यक्त करता हूं."
उन्होंने आगे कहा- खुद को एक किसान और संगठन नेता के तौर पर किसान संगठनों और आम लोगों में धारणाओं को देखते हुए मैं अपने उस ऑफर को त्याग करने को तैयार हूं जो मुझे दिया गया है क्योंकि पंजाब और देश के किसानों के हितों के साथ समझौता नहीं कर सकता हूं. मैं पैनल से अपने आपको हटाता हूं और हमेशा किसानों और पंजाब के साथ खड़ा रहूंगा.
Bhupinder Mann, a member of the SC-formed committee over #FarmLaws, recuses himself from it.
"In view of prevailing sentiments & apprehensions amongst farm unions & public, I'm ready to sacrifice any position so as not to compromise Punjab & farmers' interests," his letter reads — ANI (@ANI) January 14, 2021
गौरतलब है कि पिछले साल सितंबर के महीने में केन्द्र सरकार की तरफ से तीन नए कृषि सुधार संबंधी कानूनों को विपक्ष के विरोध के बावजूद पास कराया गया था. इसके बाद से लगातार हरियाणा और पंजाब में किसानों का भारी विरोध प्रदर्शन हुआ. राजधानी दिल्ली और इसके आसपास के सीमाओं पर किसान 50 दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं.
आंदोलनकारी किसानों की मांग है कि सरकार इन कानूनों को वापस लेने के साथ ही MSP को कानून का हिस्सा बनाए. हालांकि, सरकार का तर्क है कि इन कानूनों के जरिए कृषि क्षेत्र में सुधार होगा और निवेश होने से किसानों की आमदनी बढ़ेगी. किसानों को डर है कि इन कानून के जरिए सरकार MSP को खत्म कर उन्हें उद्योगपतियों के भरोसे छोड़ देगी.
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