India Visit Of King Jigme Khesar Namgyel Wangchuck: भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक अगले हफ्ते से भारत की आधिकारिक दौरे पर होंगे. वो देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के आमंत्रण पर आ रहे हैं. सोमवार 3 से 5 अप्रैल तक वो भारत में होंगे. इस दौरान वो राष्ट्रपति मुर्मू के साथ वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात करेंगे.


उनके साथ वहां के विदेश और विदेश व्यापार मंत्री ल्योंपो डॉ. टांडी दोरजी और शाही सरकार के वरिष्ठ अधिकारी होंगे. भूटान के राजा की ये यात्रा दोनों देशों के बीच नियमित रूप से उच्च स्तरीय आदान-प्रदान की लंबी परंपरा को ध्यान में रखते हुए की जा रही है. ये जानकारी विदेश मंत्रालय की तरफ से दी गई है. भूटान के राजा कई बार भारत की यात्रा पर आ चुके हैं. 


 2007 में भी आए थे भारत


भूटान नरेश जिग्मे सिंग्ये वांगचुक ने दिसंबर 2006 में राजगद्दी छोड़ी थी. इसके बाद उनके बेटे जिग्मे खेसर नामग्याल नए राजा बने थे. तब ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़े प्रिंस खेसर नामग्याल को देश का 5वां राजा घोषित किया गया था. इसके बाद ही वो एक राजा के तौर पर फरवरी 2007 में भारत आए थे.


तब युवा राजा ने तत्कालीन गृह मंत्री शिवराज पाटिल से मुलाकात कर सुरक्षा संबंधी चिंता जताई थी. उन्होंने भूटान के दक्षिणी इलाके में सीमावर्ती क्षेत्रों में और अधिक सुरक्षा मुहैया कराने को कहा था. दरअसल भूटान का ये इलाका असम की दूसरी तरफ भूटान की सीमा में है. 



साल 2017 में भी किया था दौरा


चीन के साथ भारत के 73 दिन तक चले डोकलाम विवाद के बाद भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक अक्टूबर 2017 में भी भारत के 4 दिन के दौरे पर आए थे.


तब दिवंगत विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भूटान नरेश और उनके परिवार का स्वागत किया था. उनके साथ भूटान की रानी जेटसन पेमा वांगचुक और उनके बेटे ग्याल्सी जिग्मे वांगचुक भी आए थे. इस दौरान विदेश मंत्री स्वराज की उनके बेटे ग्याल्सी जिग्मे की अंगुली पकड़े तस्वीर काफी मशहूर हुई थी. 




बीते साल मिले थे पीएम से


भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक (Jigme Khesar Namgyel Wangchuck) ने सितंबर 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी. इसके साथ ही वो विदेश सचिव विनय क्वात्रा से और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से भी मिले थे. इस दौरान भूटान ने अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन रूपरेखा समझौते की पुष्टि की थी.


क्यों अहम है भूटान नरेश का दौरा?


हाल ही में डोकलाम में भारतीय और चीनी सैनिकों के गतिरोध के छह साल बाद भूटान के प्रधानमंत्री लोटे शेरिंग ने डोकलाम को लेकर भारत की फिक्र बढ़ाने वाला बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि बीजिंग का हाई एल्टीट्यूड वाले पठार पर विवाद का हल खोजने में बराबर का अधिकार है. दरअसल भारत यहां चीन का अवैध रूप से कब्जा मानता है.


भूटान के पीएम ने बेल्जियन डेली अखबार ला लिबरे के एक इंटरव्यू में उसकी सीमा के अंदर चीन के गांवों की बसावट होने से भी इंकार कर दिया था. डोकलाम भारत के पड़ोसी देश भूटान में आता है. ये क्षेत्र भारत को पूर्वोत्तर से जोड़ने वाले सिलीगुड़ी कॉरिडोर के पास है. इस वजह से भारत चाहता है कि चीन डोकलाम से दूर रहें. 


भूटान भारत के लिए एक बफर देश के नजरिए से अहम है. ये सिलीगुड़ी कॉरिडोर, या चिकन्स नेक (Chicken's Neck) को कुछ हद तक सुरक्षा मुहैया करवाता है. भारत के चार राज्यों असम, अरुणाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल और सिक्किम के साथ 699 किलोमीटर की लंबाई तक सीमा की सीमा भूटान के साथ साझा होती है. 


भारत और भूटान के रिश्तों का इतिहास


भारत-भूटान द्विपक्षीय रिश्तों का आधार दोनों देशों के बीच 1949 में हस्ताक्षरित मैत्री और सहयोग की संधि रही है. इसमें दोनों देशों के बीच एक-दूसरे के आंतरिक मामलों में दखलअंदाजी न करने की बात है. इस संधि में साल 2007 में संशोधन किया गया. इसमें भूटान भारत को अपनी विदेश नीति का मार्गदर्शन करने देने के लिए राजी हो गया था. दोनों देशों के बीच राजनयिक रिश्ते साल 1968 में थिम्पू में भारत के एक खास ऑफिस बनने के साथ ही कायम हो गए थे. 


ये भी पढ़ें: Doklam Issue: डोकलाम पर भूटान के पीएम ने ऐसा क्या कहा जो भारत की फिक्र को बढ़ा सकता है?