कर्नाटक: देशद्रोह के आरोपों से जूझते बीदर के शाहीन स्कूल को बड़ी राहत मिली है. बीदर की जिला अदालत ने स्कूल से जुड़े अभिभावकों और बच्चे समेत 5 लोगों को अंतरिम जमानत दे दी. प्रथम दृष्टया अदालत को स्कूल के खिलाफ राजद्रोह का मामला नजर नहीं आया है. इस साल शाहीन स्कूल में नाटक मंचन के बाद जमकर विरोध देखने को मिला था.


राजद्रोह के मामले में मिली अंतरिम जमानत


2020 के जनवरी महीने में नागरिकता कानून के विरोध में शाहीन प्राथमिक स्कूल में नाटक का मंचन किया गया था. नीलेश नाम के युवक ने नाटक मंचन को राजद्रोह बताते हुए पुलिस से शिकायत की. उनका कहना था कि नाटक मंचन के दौरान दो समुदायों के बीच नफरत और सरकार के खिलाफ भड़काऊ बोल बोले गये. पुलिस ने शिकायत पर कार्रवाई करते हुए राजद्रोह का केस दर्ज कर स्कूल से जुड़े कई लोगों को गिरफ्तार कर लिया. जिसके बाद एक बार फिर राज्य सरकार के खिलाफ लोगों का गुस्सा कानून के गलत इस्तेमाल पर भड़क उठा.


शाहीन स्कूल के नाटक में नहीं मिला सबूत


जिला अदालत ने सुनवाई करते हुए कहा कि नाटक में जो बोल बोले गये थे उसे राजद्रोह नहीं कहा जा सकता है. नागरिकता कानून के समर्थन और विरोध में देश भर में रैलियां हो रही हैं और इस दौरान सरकार विरोधी नारे भी लगाए जा रहे हैं. कोर्ट ने दलील देते हुए कहा कि शांतिपूर्ण विरोध का अधिकार भारत के हर शहरी को है. अगर नाटक को फेसबुक पर अपलोड नहीं किया जाता तो लोगों को डायलॉग के बारे में पता ही नहीं चलता. नाटक को अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर करनेवाले स्थानीय पत्रकार मोहम्मद यूसुफ रहीम को भी अदालत ने जमानत दे दी. कोर्ट ने ये भी माना कि नाटक मंचन के दौरान बच्चों का देश छोड़ने की बात करना राजद्रोह नहीं हो सकता.


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