Chhattisgarh Liquor Scam Case: छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाला मामले (CG Liquor Scam Case) में ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा को गिरफ्तार कर लिया है. बुधवार को तीसरी बार पूछताछ के लिए रायपुर स्थित ईडी कार्यालय पहुंचे लखमा को देर शाम गिरफ्तार किया गया. ईडी ने पहले भी उनसे दो बार, करीब 8-8 घंटे तक पूछताछ की थी.
गिरफ्तारी से पहले लखमा ने कहा, "मुझे पूछताछ के लिए बुलाया गया है, इसलिए मैं आया हूं. हमारा देश कानून के हिसाब से चलता है. अगर कानून के तहत बुलाया जाएगा, तो मैं एक नहीं, 25 बार आऊंगा." वही, मकर संक्रांति के मौके पर मुख्यमंत्री कमल विष्णु देव साय ने बिना नाम लिए कवासी लखमा पर निशाना साधते हुए कहा,"पिछली सरकार में अनपढ़ भी मंत्री थे. घोटाले करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा."
क्या है छत्तीसगढ़ शराब घोटाला?
ईडी ने छत्तीसगढ़ के 2,000 करोड़ रुपये से अधिक के शराब घोटाले की जांच शुरू की है. ईडी की जांच में सामने आया कि भूपेश सरकार के कार्यकाल (2019-2022) में IAS अफसर अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी ए.पी. त्रिपाठी, और कारोबारी अनवर ढेबर के अवैध सिंडिकेट ने इस घोटाले को अंजाम दिया.
कैसे हुआ घोटाला?
सरकारी शराब दुकानों से नकली होलोग्राम लगाकर शराब बेची गई. इससे सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ. जांच में यह भी सामने आया कि कवासी लखमा को हर महीने पीओसी (Proceeds of Crime) से कमीशन मिलता था.
28 दिसंबर 2024 को ईडी ने रायपुर, धमतरी, और सुकमा जिलों में कवासी लखमा और उनके बेटे हरीश कवासी के ठिकानों पर छापा मारा. जांच में यह पता चला कि घोटाले से प्राप्त अवैध धनराशि का हिस्सा कवासी लखमा को भी नियमित रूप से दिया गया. ईडी की पूछताछ के दौरान लखमा ने खुद के अनपढ़ होने और दस्तावेज़ों को न समझ पाने का हवाला दिया, जिससे ईडी के अफसरों को भ्रमित करने की कोशिश की.
शराब घोटाले के प्रमुख पहलू
डुप्लीकेट होलोग्राम के जरिए शराब बेचकर राजस्व का नुकसान. सरकारी विभाग और प्राइवेट कारोबारी के बीच मिलीभगत.अधिकारियों और नेताओं द्वारा राजस्व के दुरुपयोग का आरोप. अब कवासी लखमा को कोर्ट में पेश किया जाएगा. बता दें कि ईडी घोटाले में शामिल अन्य लोगों की भूमिका की जांच कर रही है. अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि जांच प्रक्रिया से और कौन-कौन से नाम सामने आते हैं और न्यायिक प्रक्रिया किस दिशा में आगे बढ़ती है.