NIA Raid: PFI पर बड़ी कार्रवाई, NIA ने तेलंगाना-आंध्र प्रदेश में 40 जगहों पर छापेमारी की, 4 लोगों को हिरासत में लिया
Big Action On PFI: पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए एनआईए ने रविवार को आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में 40 जगहों पर छापेमारी की और चार लोगों को हिरासत में लिया.
NIA Raid: पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने रविवार को दक्षिण भारत के आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) और तेलंगाना (Telangana) में 40 अलग-अलग स्थानों पर छापेमारी कर चार लोगों को हिरासत में लिया है. एजेंसी ने तेलंगाना में 38 स्थानों (निजामाबाद में 23, हैदराबाद में चार, जगत्याल में सात, निर्मल में दो, आदिलाबाद और करीमनगर जिलों में एक-एक) और आंध्र प्रदेश में दो स्थानों (कुरनूल और नेल्लोर जिलों में एक-एक) छापेमारी की.
रविवार सुबह से जारी छापेमारी के बारे में एनआईए ने कहा, उसने डिजिटल उपकरण, दस्तावेज, दो खंजर और 8,31,500 रुपये नकद सहित आपत्तिजनक सामग्री जब्त की है. आतंकवाद रोधी एजेंसी ने कहा, "चार लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है. एनआईए के अनुसार, आरोपी "आतंकवादी कृत्यों को करने के लिए प्रशिक्षण देने और धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने के लिए शिविर आयोजित कर रहे थे."
तेलंगाना के निजामाबाद पुलिस स्टेशन द्वारा जांच के दौरान चार आरोपियों अब्दुल कादर, शेख सहदुल्ला, मोहम्मद इमरान और मोहम्मद अब्दुल मोबिन को तेलंगाना पुलिस ने गिरफ्तार किया था, जिनपर बाद में एनआईए ने 26 अगस्त को फिर से मामला दर्ज किया था.
देश विरोधी गतिविधियों का पता चला था
एनआईए की विशेष टीमों ने निजामाबाद के एपीएचबी कॉलोनी इलाके में शहीद चौश उर्फ शाहिद के आवास पर छापेमारी की. उन्हें 41 (ए) दंड प्रक्रिया संहिता (CRPC) के तहत नोटिस दिया गया है. आरोप है कि कानूनी जागरूकता की आड़ में इन जगहों पर पीएफआई गतिविधियों के लिए कराटे प्रशिक्षण का आयोजन किया गया था. यह भी आरोप लगाया गया था कि वे सांप्रदायिक हिंसा (Communal Violence) को भड़काना चाहते थे.
अब्दुल खादिर सहित 26 लोगों पर एफआईआर दर्ज की गई थी
एनआईए की हैदराबाद शाखा ने 26 अगस्त को पीएफआई से जुड़ा एक मामला दर्ज किया था, जिसमें निजामाबाद के ऑटोनगर निवासी 52 वर्षीय अब्दुल खादर सहित 26 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई थी, जिसमें उल्लेख किया गया था कि उन्होंने अन्य लोगों के साथ मिलकर भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने की साजिश रची थी और इस साजिश को अंजाम देने के लिए पीएफआई के सदस्यों की भर्ती की. आतंकवादी कृत्यों के लिए प्रशिक्षण देने के लिए शिविर आयोजित किए गए थे.
दर्ज प्राथमिकी में कहा गया है कि देश विरोधी गतिविधियों के लिए उन्होंने एक गैरकानूनी सभा का गठन किया और धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा दिया. इस सभा में भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को बाधित करने वाली गतिविधियों को अंजाम देने वाले लोग शामिल थे."
तेलंगाना पुलिस ने किया था खुलासा
इससे पहले तेलंगाना के निजामाबाद पुलिस स्टेशन द्वारा भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं और गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम की धारा 13 (1) (बी) के तहत अब्दुल खादर और 26 व्यक्तियों और अन्य के खिलाफ कुछ राष्ट्र-विरोधी से संबंधित मामला दर्ज किया गया था. जिसमें कहा गया है कि उस्मानिया मस्जिद, निजामाबाद के पास ऑटो नगर के एक घर में ये सारी गतिविधियां चल रही थीं.
"घर की तलाशी लेने पर, पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI), बांस की छड़ें, व्हाइटबोर्ड, नॉन-चक, एक पोडियम, नोटबुक, हैंडबुक और अन्य सामग्री के नाम से एक फ्लेक्सी को तेलंगाना पुलिस ने जब्त कर लिया था.दर्ज प्राथमिकी में लिखा गया है कि भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने की साजिश थी."
घर में चल रहा था आतंकवाद फैलाने का प्रशिक्षण
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि आगे की पूछताछ के दौरान, घर के मालिक अब्दुल खादर ने स्वीकार किया कि पीएफआई से जुड़े कुछ आरोपियों ने 6 लाख रुपये की वित्तीय सहायता के एवज में अपने घर की छत पर पीएफआई के कैडरों को ट्रेनिंग और संगठन की बैठक के लिए उपयोग किया जाने वाला परिसर बनाया था. इसमें प्रशिक्षण देने की अनुमति दी थी.
"पीएफआई के सदस्यों ने कराटे कक्षाओं के नाम पर युवाओं के लिए कोचिंग और शारीरिक व्यायाम शुरू किया और उन्हें अपने नफरत भरे भाषणों आदि के साथ एक विशेष समुदाय के खिलाफ उकसाया. उन्होंने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के सदस्यों की भर्ती के लिए शिविर आयोजित किए. जिसका मकसद आतंकवादी कृत्यों के लिए प्रशिक्षण प्रदान करना था.
गृह मंत्रालय ने बाद में इस राय के साथ मामले को एनआईए को सौंप दिया कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी अधिनियम, 2008 के तहत एक अनुसूचित अपराध किया गया है और अपराध की गंभीरता और राष्ट्रीय सुरक्षा पर इसके नतीजों को देखते हुए, यह आवश्यक है कि एजेंसी द्वारा राष्ट्रीय जांच अधिनियम, 2008 के अनुसार जांच की जानी चाहिए.
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